श्रीनगर: कश्मीरी पंडितों ने जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में लगने वाले खीर भवानी मेले का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। घाटी में हिंदुओं के बढ़ते कत्लेआम के विरोध में यह कश्मीरी पंडितों ने यह निर्णय लिया है। इससे पहले माता खीर भवानी ट्रस्ट ने तमाम भक्तों, खास तौर पर कश्मीरी पंडितों से वार्षिक 'माता खीर भवानी मेला' को निरस्त करने की अपील की थी। न्यास समिति के मुताबिक, गांदरबल जिले के तुलमुल्ला गांव के राग्या देवी मंदिर में 7 जून को मेले में शामिल होने के लिए यात्रा 5 जून को नगरोटा से रवाना होने वाली है।
बता दें कि खीर भवानी मंदिर में कश्मीरी पंडितों की गहरी आस्था रही है। 1990 में पलायन करने वाले कश्मीरी पंडित भी बड़ी तादाद में यहां आते रहे हैं। इस मेले को कश्मीरी पंडितों की पहचान के रूप में देखा जाता रहा है। साथ ही इसे कश्मीरी पंडितों का मुख्य त्योहार भी कहा जाता है। यह धार्मिक सद्भाव और कश्मीरियत का प्रतीक रहा है। यहां हर साल बड़ी तादाद में भक्त, मुख्य रूप से कश्मीरी पंडित वार्षिक मेले में शामिल होते हैं।
दरअसल, इस्लामी आतंकियों द्वारा हिन्दुओं की टारगेटेड किलिंग के कारण बड़े पैमाने पर घाटी से कश्मीरी पंडित पलायन करने की तैयारी कर रहे हैं। यह सिलसिला शुरू भी हो चुका है। अनंतनाग के मट्टन स्थित ट्रांजिट कैंप में रहने वाले एक शख्स ने कहा कि गुरुवार को 100 से ज्यादा लोग जम्मू की तरफ पलायन कर गए हैं। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के प्रमुख संजय टिक्कू ने भी इसकी पुष्टि की है।
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