राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को तो सभी जानते हैं लेकिन क्या कोई गांधी की सफलता के रहस्य को जानते हैं। जी हां, कहा जाता है प्रत्येक सफल पुरूष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है। महात्मा गांधी के पीछे भी उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का ही हाथ था। कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात के काठियावाड़ के पोरबंदर में हुआ था। हालांकि कस्तूरबा महात्मा गांधी से आयु में 6 माह बड़ी थीं। उनके पिता गोकुलदास मकनजी साधारण स्थिति के व्यापारी थे। कस्तूरबा उनकी तीसरी संतान थीं। बचपन में करीब 7 वर्ष की उम्र में ही उनकी महात्मा गांधी के साथ सगाई हो गई और जब कस्तूरबा 13 वर्ष की हुई तो दोनों का विवाह हो गया।
इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद वर्ष 1896 से दोनों साथ साथ रहे। यहीं से उनके जीवन में परिवर्तन आया और बाद में उन्हें बा का नाम मिला। वर्ष 1932 में हरिजनों को लेकर बापू ने यरवदा जेल में आमरण उपवास किया इसके बाद बा साबरमती जेल में थी मगर उन्हें तभी चैन मिला जब वे यरवदा जेल भेज दी गईं। दक्षिण अफ्रीका में 1913 में एक ऐसा कानून पास हुआ जिसके अनुसार ईसाई मत के अनुसार किए गए और विवाह विभाग के अधिकारी के यहाँ दर्ज किए गए विवाह के अतिरिक्त अन्य विवाहों की मान्यता अग्राह्य की गई थी।
उन्होंने वहां के कानून का विरोध किया और सत्याग्रह किया। ईसाई मत के अनुसार किया गया विवाह ही वहां की सरकार मान्य कर रही थी मगर उन्होंने कुछ अन्य महिलाओं को साथ लेकर सत्याग्रह किया और अधिकारियों को उनकी बात माननी पड़ी। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर साथ दिया। कई बार महात्मा गांधी जी उनका साथ नहीं देते लेकिन बा बापू का साथ कभी नहीं छोड़ती थीं। अंग्रेजी दास्ता के विरूद्ध भारत में 22 फरवरी 1944 को उन्होंने अपना सत्याग्रह आंदोलन जारी रखते हुए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया।
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