इंदौर। श्रावण मास शुरू हो गया है और इसके साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो गई है। सड़कों पर कांवड़ियों की भीड़ और उनके कानभोड़ू डीजे से आम जनता को हो रही परेशानियों से तो प्रशासन बेखबर है ही, लेकिन अब लगता है कि प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के दौरान भारतीय कानून के सरेआम उल्लंघन को लेकर भी आंखें बंद कर ली हैं।
सावन में ही क्यों चढ़ाई जाती है भगवान शिव को कांवड़ ?
दरअसल, कांवड़ यात्रा के दौरान भारत में पशुओं के संरक्षण के लिए बने कानून का सरेआम उल्लंघन देखने को मिल रहा है। मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में कांवड़ यात्रा चल रही है और इस दौरान कांवड़ियों द्वारा सांपों का प्रयोग सरेआम हो रहा है। जबकि भारत के वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत सांपों को पकड़ना और व्यापार के लिए मारना एक अपराध है, लेकिन लगता है कि प्रशासन इससे अवगत नहीं है। न्यूजट्रैक के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कांवड़ यात्रा के दौरान सांपों को पकड़कर सरेआम प्रदर्शित किया जा रहा है।
हम आपको एक वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि कांवड़ यात्रा के दौरान किस तरह से सांपों का खुलेआम प्रयोग हो रहा है, जो कि भारतीय कानून का उल्लंघन है। वीडियो में एक व्यक्ति भगवान शंकर की वेशभूषा में गले में सांप को घुमाते दिख रहा है। इस तरह की कार्यकलाप हर साल कांवड़ यात्रा और नागपंचमी के समय में देखने में आते हैं, लेकिन प्रशासन इस पर चुप्पी साधे रहता है।
ऐसे में सवाल यह है कि देश भर में पशुओं पर ज्यादती के खिलाफ हंगामा करने वाला पेटा संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता कहां हैं? प्रशासन की इस चुप्पी पर वह चुप क्यों हैं? क्या प्रशासन कांवड़ियों की इस मनमर्जी के आगे झुक गया है?
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