पूरी दुनिया कई प्रकार के चमत्कारों से भरी है। आप जानते ही होंगे दुनिया में कई ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में जानने, पढ़ने या सुनने को मिले तो हम सभी बड़े ही उत्सुक रहते हैं। अगर हम बात करें भारत के बारे में तो भारत के हर मंदिर से जुड़ा कोई ना कोई रहस्य आपको मिल ही जाएगा। यहाँ हर मंदिर रहस्य्मयी है, फिर वह किसी भी देवता या देवी का हो। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक अनोखे रहस्य से भरा है। इस मंदिर का जो रहस्य है उसे जानने के बाद सभी हैरान रह जाते हैं, खैर ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ था। फिलहाल आप भी जानिए इस मंदिर के बारे में।
क्या है मंदिर का नाम- इस मंदिर का नाम ''खीर भवानी देवी'' मंदिर है। इस मंदिर के बारे में बहुत सी रोचक बातें हैं जिन्हे जानने वाला हैरान रह जाता है। यह मंदिर जम्मू-कश्मीर के गान्दरबल जिले में तुलमुला गांव में स्थित है। इस मंदिर को कश्मीरी पंडितों की आस्था का केंद्र कहा जाता है। यह मंदिर श्रीनगर से 27 कि.मी पूर्व में बना हुआ है। इस मंदिर में जो लोग पूजा करने आते हैं उस क्रम में कश्मीरी हिन्दू, ग़ैर-कश्मीरी हिन्दू सभी शामिल होते हैं। यहाँ जब बसंत ऋतू आती है तो मंदिर में सबसे अधिक माँ को खीर चढ़ाई जाती है। यह परम्परा शुरू से चली आ रही है और कहा जाता है यही वजह है कि माँ का नाम भी 'खीर भवानी' है। खीर भवानी को लोग महारज्ञा देवी के नाम से भी जानते हैं।
क्या है रहस्य- अब हम आपको बताते हैं इस मंदिर के रहस्य के बारे में जो अनोखा भी है और अकल्पनीय भी। जी दरसल यह एक ऐसा मंदिर है जिसमे एक झरना है। वह झरना भी ऐसा-वैसा नहीं बल्कि षट्कोणीय झरना। यह झरना दिखने में बिलकुल देवी जैसा प्रतीत होता है। यहाँ रहने वाले लोगों का मानना है कि हिंदुओं के देवता राम ने अपने निर्वासन में इस मंदिर का इस्तेमाल पूजा की जगह के रूप में किया था। उसके बाद जैसे ही निर्वासन की अवधि खत्म हुई थी वैसे ही भगवान हनुमान को राम जी ने आज्ञा दी थी कि देवी की मूर्ति को शादिपोरा स्थानान्तरित किया जाए। उसी के बाद से यह यहाँ स्थित है। अब बात करें मंदिर के रहस्य के बारे में तो वह यह है कि जब भी जम्मू-कश्मीर में कोई बहुत बड़ी विपदा आने वाली होती है तो इस मंदिर से उसका संकेत मिल जाता है। जी हाँ, जब भी कोई बड़ी आपत्ति, विपदा, समस्या जम्मू-कश्मीर में आने वाली होती है तो यह मंदिर सबसे पहले उस बात का संकेत देता है।
कैसे मिलता है संकेत- जी दरअसल जैसे ही जम्मू-कश्मीर पर कोई बड़ी विपदा आने वाली रहती है तो उससे पहले इस मंदिर के कुंड का पानी काला हो जाता है। सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन यह सच है। कई लोग यह कहेंगे कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन कहा जाता है पानी का रंग काला या गहरा होना अशुभ होता है। वहीं जब पानी का रंग गहरा या काला होता है तो इसे जम्मू-कश्मीर के लिए सबसे अशुभ संकेत माना जाता है। जम्मू-कश्मीर के अधिकतर लोग मानते हैं कि जब कुंड का जल शुद्ध एवं साफ़ होता है तो घाटी में शुभ होता है लेकिन जब पानी काला होता है तो यह अशुभ संकेत होता है।
मिले हैं सबूत- जो लोग इस बात को नहीं मानते हैं उनके लिए हम सबूत भी लाये हैं। जी दरअसल आज से पहले जब भी कश्मीर में विपदा आई है तो इस कुंड का पानी गहरा काला हो चुका है। साल 2014 में जब कश्मीर में बाढ़ आई थी तब भी इस आपदा के आने से पहले कुंड के पानी का रंग गहरा काला हो गया था। उसी दौरान वहां के सभी पंडितों को यह अंदेशा हो गया था कि कुछ तो गहरा संकट आने वाला है। यह सब होने के बाद ही कश्मीर में बाढ़ आ गई थी। ऐसे ही और भी कई किस्से हैं जो यह बताते हैं कि मंदिर का पानी इस बात का इशारा करता है कि कुछ गलत होने वाला है।
बहुत खास है प्रसाद- इस मंदिर को साल-भर खुला रखा जाता है। इस मंदिर के चारों तरफ चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं बहती हैं जो इसे आकर्षक बनाती हैं। इस मंदिर में सबसे ख़ास होता है प्रसाद जो केवल खीर और दूध होता है। इस प्रसाद के अलावा यहाँ कुछ और नहीं चढ़ता।
ऐसी भी है मान्यता- यहाँ रहने वाले और मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले लोग यह भी मानते हैं कि वास्तव में खीर का रंग सफेद ही रहता है लेकिन जब जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ी आपत्ति आने वाली होती है तो खीर का रंग भी काला हो जाता है। यहाँ के लोगों में एक अनोखा विश्वास यह भी है कि शुभ दिन पर देवी पानी का रंग बदलती है जो अनोखा होता है।
सच या झूठ- यह सब सच है या झूठ यह तो वहां जाकर, वहां रहकर ही पता लगाया जा सकता है। लेकिन हाँ, मानने वालों के लिए यह रहस्य, मंदिर अनोखा है और ना मानने वालों के लिए इसका कोई महत्व नहीं है।
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