नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कल, यानी मंगलवार (17 सितंबर) को शाम साढ़े 4 बजे उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिलकर अपना इस्तीफा देंगे। इस बारे में उपराज्यपाल कार्यालय ने पुष्टि कर दी है और बताया है कि केजरीवाल ने इस समय मिलने का अनुरोध किया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी इसकी पुष्टि की है कि मुख्यमंत्री ने मंगलवार को एलजी से मिलने का समय मांगा है और वे इस्तीफा देंगे।
इस बीच, सवाल उठ रहा है कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा? केजरीवाल के इस्तीफे के बाद, आम आदमी पार्टी के मंत्री आतिशी, उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गौतम और गोपाल राय जैसे नामों की चर्चा हो रही है। हालांकि, पार्टी के सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल किसी ऐसे व्यक्ति को भी चुन सकते हैं, जिनके नाम की अभी तक चर्चा नहीं हुई है। नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए सोमवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल के साथ उनके आधिकारिक आवास पर चर्चा की। 'आप' की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक भी बुलाई गई है। अरविंद केजरीवाल ने एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की अचानक घोषणा की थी। माना जा रहा है कि विधायक दल की बैठक से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता संभावित नामों पर चर्चा करके एक नाम तय करना चाहते हैं। इस नाम को विधायक दल की बैठक में रखा जाएगा और विधायकों की मंजूरी के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल आतिशी और सुनीता केजरीवाल की बजाय राखी बिड़ला को अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं। राखी बिड़ला को मुख्यमंत्री बनाने के तर्क में कहा जा रहा है कि इससे वह कई लक्ष्यों को साध सकते हैं। एक तरफ, महिला को मुख्यमंत्री बना कर आधी आबादी को संदेश देंगे, दूसरी तरफ दलित कार्ड भी खेल सकते हैं। राखी बिड़ला आम आदमी पार्टी के साथ अन्ना आंदोलन के दौरान जुड़ी थीं और वर्तमान में मंगोलपुरी सीट से विधायक हैं और विधानसभा में डिप्टी स्पीकर हैं। 2013 में जब आम आदमी पार्टी की पहली सरकार बनी, तब राखी बिड़ला को केजरीवाल के कैबिनेट में शामिल किया गया था। वह महिला एवं बाल कल्याण और सामाजिक कल्याण विभाग की मंत्री रही थीं। 2014 में उन्हें भाजपा के उदित राज के खिलाफ लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उतारा, और वह देशभर में सर्वाधिक वोट पाने वाली 'आप' उम्मीदवार बनीं। हालांकि वह चुनाव हार गईं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में पार्टी के दो प्रमुख दलित नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। पहले मंत्री राजकुमार आनंद और फिर पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दलितों और पिछड़ों को उचित मौका न मिलने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया। राजकुमार आनंद भाजपा में शामिल हो गए हैं और गौतम कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इन दलित नेताओं के जाने से हुए नुकसान की भरपाई राखी बिड़ला को मुख्यमंत्री बनाकर की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, यह भी संकेत हो सकता है कि पार्टी ईमानदारी और वफादारी के साथ काम करने वालों को उचित अवसर देती है। केजरीवाल अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा को 'परिवारवाद' का मुद्दा देने से भी बचना चाहेंगे।
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