नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित एक स्पेशल कोर्ट में सीएम और आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही है। स्पेशल जस्टिस, कावेरी बावेजा ने बीते 30 मई को ED से पहली जून तक इस पर अपना जवाब दायर करने के लिए कहा था। ED की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू अपना तर्क रखा। सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए।
तुषार मेहता ने कहा कि, अगर केजरीवाल रविवार को सरेंडर कर रहे हैं, तो यह बात उनके वकील को स्पष्ट करनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने केजरीवाल के वकील से जवाब मांगा। SG तुषार मेहता ने अपनी दलील में यह भी कहा कि अंतरिम जमानत आवेदन इस कोर्ट में विचारणीय ही नहीं है। ऐसे में यह कोर्ट, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में बदलाव नहीं कर सकती है। शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को दो जून को हर स्थिति में सरेंडर करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में तारीख को मॉडिफाई नहीं किया जा सकता। वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि केजरीवाल को आत्मसमर्पण करना ही होगा। वह ट्रायल कोर्ट के आदेश पर अंतरिम जमानत पर बाहर नहीं है, बल्कि उन्हें ये राहत सुप्रीम कोर्ट ने दी है। अब, केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत विस्तार मांग रहे हैं, तो यह इस अदालत में विचार योग्य नहीं है। केजरीवाल इस कोर्ट से नियमित जमानत की मांग कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इस कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत पर एक्सटेंशन नहीं दिया जा सकता है।
एसवी राजू ने कोर्ट में कहा कि, अंतरिम या नियमित जमानत आवेदन तब तक विचार करने योग्य नहीं हो सकता, जब तक व्यक्ति हिरासत में ना हो। केजरीवाल इस समय हिरासत में नहीं हैं, उन्हें पहले सरेंडर करना होगा। ऐसे में नियमित जमानत के आवेदन पर भी विचार नहीं किया जा सकता है। उन्हें पहले आत्मसमर्पण करना ही होगा। जब तक वह हिरासत में नहीं पहुंचते हैं, तब तक उनको अंतरिम जमानत कैसे दी जा सकती है ? SV राजू ने आगे काह कि, इतना ही नहीं इस मामले में याचिकाकर्ता को धन शोधन अधिनियम की धारा 45 से होकर गुजरना होगा। इसमें अंतरिम जमानत प्राप्त करने के लिए प्रथम दृष्टया निर्दोष होना अनिवार्य शर्त है।
एसवी राजू ने कोर्ट में कहा कि अगर केजरीवाल धारा 45 से होकर अपनी जमानत नहीं चाहते हैं, तो उन्हें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में आवेदन करना होगा। धारा 45 से गुजरे बगैर अंतरिम या नियमित जमानत देना इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। वहीं, इस दौरान केजरीवाल के वकील एन हरिहरन ने कहा कि मेरे यहां होने का क्या मतलब है ? ED की ओर से तीन वकील पक्ष रख चुके हैं, मुझे ऐसा लगता है कि मुझे यहां नहीं होना चाहिए। मुझे लग रहा है कि मुझे सुना नहीं जाएगा। अगर मुझे नहीं सुना जाएगा तो जज सिर्फ ED के वकीलों को सुनकर अपना आदेश सुना दें। इस पर कोर्ट ने केजरीवाल के वकील से कहा कि आप पहले आवेदन की विचारणीयता पर अपना पक्ष रखें।
केजरीवाल के वकील ने कोर्ट में अपनी दलील में कहा कि यह कोर्ट आवेदन पर विचार कर सकती है, क्योंकि मेरी (केजरीवाल) खराब सेहत संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मुझे अधिकार देती है कि मैं अपनी जमानत अर्जी दाखिल करूं। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने आदेश के समय आवेदक को ट्रायल कोर्ट से जमानत मांगने के लिए छूट दी थी। मुझे चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत दी गई थी। यदि मैं एक दिन के लिए भी चुनाव प्रचार नहीं करता तो मुझ (केजरीवाल) पर इल्जाम लगते। दरअसल, ED ने कहा था कि, यदि केजरीवाल इतने ही बीमार थे तो वे प्रचार कैसे कर रहे थे, उन्हें इलाज करवा लेना चाहिए था। इसके जवाब में केजरीवाल ने वकील ने ये तर्क रखा कि, प्रचार के लिए जमानत मिली थी, इसलिए प्रचार किया, अब इलाज के लिए जमानत मांग रहे हैं, इलाज करवाएंगे। अगर वे प्रचार छोड़कर इलाज करवाते तो उनपर आरोप लगते।
केजरीवाल के वकील ने आगे कहा कि, निरंतर अस्थिर शुगर लेवल के कारण कीटोन लेवल बहुत बढ़ गया है। यह बेहद खतरनाक स्तर पर बढ़ गया है। केजरीवाल का वजन 64 किलो है, जबकि वह जब तिहाड़ जेल गए थे तब उनका वजन 69 किलो था। हम सिर्फ 7 दिनों की रियायत मांग रहे हैं, ताकि अलग-अलग मेडिकल टेस्ट कराए जा सके। अगर हम बगैर मेडिकल टेस्ट के जेल जाते हैं, तो जीवन के लिए खतरा होगा। अगर मुझे (केजरीवाल को) कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ???
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