नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने हाल ही में एक सभा में खुद और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तुलना भगवान राम और लक्ष्मण से की है। इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा और विवाद शुरू हो गया है।
सिसोदिया ने यह बयान जंतर-मंतर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने जेल में अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें CBI अधिकारियों ने यह समझाने का प्रयास किया कि अरविंद केजरीवाल ने उनका नाम लिया है और अगर वह भी केजरीवाल का नाम लेते हैं, तो उन्हें (सिसोदिया को) बचाया जा सकता है। सिसोदिया ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आप लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो। दुनिया में कोई ताकत नहीं जो लक्ष्मण को राम से अलग कर सके।”
सिसोदिया ने अपनी और केजरीवाल की 26 साल पुरानी दोस्ती को अटूट बताते हुए खुद को लक्ष्मण और केजरीवाल को राम के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने इस रिश्ते को इतना मजबूत बताया कि कोई भी बाहरी या भीतरी ताकत इसे तोड़ नहीं सकती। सिसोदिया ने कहा कि सीबीआई ने उन्हें जेल में बताया कि केजरीवाल ने उनका नाम लिया है, लेकिन वह इसे एक साजिश मानते हैं, जिसका उद्देश्य उनके और केजरीवाल के बीच दरार पैदा करना है।
यह बयान राजनीतिक तौर पर कई सवाल खड़े करता है। राम और लक्ष्मण की तुलना उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक रिश्ते को आदर्श बनाने की कोशिश मानी जा रही है। हालांकि, इसका धार्मिक पहलू भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि राजनीति में इस तरह की धार्मिक तुलना करना कई लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
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