हमें स्पेशल पैकेज दो ..! केंद्र से केरल और कर्नाटक की मांग, कांग्रेस और वामपंथी सरकार के पास क्यों हुई पैसों की किल्लत ?

हमें स्पेशल पैकेज दो ..! केंद्र से केरल और कर्नाटक की मांग, कांग्रेस और वामपंथी सरकार के पास क्यों हुई पैसों की किल्लत ?
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नई दिल्ली: केरल की वामपंथी सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की अपील की है। पिछली कांग्रेस और वामपंथी सरकारों के कारण आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे केरल ने अपने मौजूदा वित्तीय संकट से निपटने के लिए 24,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का अनुरोध किया है।

केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने शनिवार, 22 जून, 2024 को नई दिल्ली में बजट-पूर्व बैठक के दौरान यह अपील की। ​​विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ यह बैठक केंद्र सरकार के पूर्ण बजट पेश किए जाने से पहले हुई है। बालगोपाल ने केरल को अपनी आर्थिक कठिनाइयों से उबरने में मदद करने के लिए दो साल के वित्तीय सहायता पैकेज की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, केरल ने विझिनजाम बंदरगाह के विकास के लिए ₹5,000 करोड़ का अनुरोध किया है। इसके अलावा, केरल ने अपने खर्चों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए बाजार से उधारी बढ़ाने की अनुमति मांगी है, जो कि वर्तमान उधारी बाधाओं के कारण वित्तीय संकट का एक हिस्सा है। इन नई मांगों के बावजूद, राज्य को केंद्र सरकार से एक महीने पहले ही, मई में ₹21,253 करोड़ की राहत मिली। यह राहत केरल को दिसंबर 2024 तक और अधिक उधार लेने की अनुमति देती है।

इसी तरह, कांग्रेस शासित कर्नाटक ने भी केंद्र सरकार से ₹11,000 करोड़ का विशेष पैकेज मांगा है। कर्नाटक, जिसने 2024-25 वित्तीय वर्ष में चुनाव गारंटी के लिए ₹52,000 करोड़ आवंटित किए हैं, ने वित्तीय दबावों को कम करने के लिए ₹11,495 करोड़ का अनुरोध किया है। राज्य ने हाल ही में अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए एक अमेरिकी एजेंसी को काम पर रखा है, जिसकी छह महीने की सेवाओं के लिए ₹9.5 करोड़ की लागत आई है। कर्नाटक सरकार ने पहले ही अनुसूचित जाति/जनजाति समुदायों के फंड में से ₹11,000 करोड़ रुपए निकाल चुकी है, ताकि वो चुनावी गारंटियों के कारण खाली हो रहे ख़ज़ाने को सहारा दे सके। इसके अतिरिक्त, कर्नाटक पानी और बस किराए बढ़ाने पर विचार कर रहा है और उसने पहले ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 3 रुपए प्रति लीटर वृद्धि कर दी है। साथ ही कर्नाटक सरकार ने कुछ ऐसी योजनाएं चलाई हैं, जिससे ख़ज़ाने पर भारी बोझ पड़ा है. जैसे अल्पसंख्यकों के लिए वाहन योजना, इसके तहत राज्य का कोई भी अल्पसंख्यक केवल 80 हज़ार देकर, 8 लाख तक का वाहन खरीद सकता है, इसमें आधा पैसा कांग्रेस सरकार भरेगी, और बाकी आधे के लिए बैंक से लोन भी सरकार ही दिलाएगी। वहीं, इस साल बजट में कांग्रेस सरकार ने ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़, और वक्फ बोर्ड के लिए 100 करोड़ आवंटित किए थे,  इसके बाद कमाई करने के लिए मंदिरों पर 10 फीसद टैक्स लगाने का बिल लेकर आई थी, लेकिन भाजपा के भारी विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका।

इससे पहले इसी साल कर्नाटक में जब सूखा पड़ा था, तब भी कांग्रेस सरकार के पास अपने राज्य के लोगों को राहत देने के लिए पैसा नहीं था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने उसे लगभग 3500 करोड़ रुपए दिए थे। वहीं, केरल में भी ऐसी ही स्थिति थी, वहां सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए वामपंथी सरकार के पास पैसे नहीं थे, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि, आर्थिक संकट के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं, आपने धन का सही से प्रबंधन नहीं किया । बहरहाल, इसके बावजूद केंद्र ने केरल के लिए 13000 करोड़ का कर्ज स्वीकृत किया,  जिसके बाद राज्य के कर्मचारियों को वेतन दिया गया। हालाँकि, अब ये दोनों राज्य फिर एक बार केंद्र से स्पेशल पैकेज की मांग कर रहे हैं। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, कांग्रेस सरकार अभी कर्नाटक में महिलाओं को 2000 रुपए महीना देने का दावा कर रही है, लेकिन इतने में ही उसका खज़ाना खाली हो रहा है, दलितों/आदिवासियों का फंड निकालना पड़ रहा है, केंद्र से स्पेशल पैकेज माँगना पड़ रहा है, दूध, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं, अमेरिकी फर्म को कमाई के उपाय सुझाने के लिए 9.5 करोड़ देकर काम पर रखना पड़ रहा है। वहीं, इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गारंटी कार्ड बांटे थे, जिसमे महिलाओं को खटाखट 1 लाख, बेरोज़गारों को साल के 1 लाख,  हर फसल पर MSP, हर बार किसानों का कर्जा माफ़ करने का वादा किया गया था, यदि पार्टी सत्ता में आ जाती, तो इन सबको कैसे पूरा करती, क्या रक्षा, शिक्षा, स्वास्थय, विकास, आदि में से फंड काटकर इन्हे पूरा किया जाता, या टैक्स बढाकर, या फिर विदेशों से कर्ज लिया जाता ? एक अनुमान के मुताबिक़ मान लिया जाए कि 150 करोड़ की आबादी में 25 करोड़ गरीब ही गरीब महिलाएं हैं, तो उन्हें हर साल देने के लिए 25 लाख करोड़ कहाँ से आते ?  ये रकम भारत के कुल सालाना बजट की आधी है, इसके बाद बेरोज़गारों को 1 लाख, हर फसल पर MSP,  हर बार किसानों का कर्जा माफ़ कैसे किया जाता ? बहरहाल, अब देखना ये है कि, केंद्र सरकार चुनावी गारंटियां पूरी करने के लिए कर्नाटक सरकार को कितना फंड देती है. 

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