कोच्चि: देश के दक्षिणी राज्य केरल ने पिछले एक महीने में सदी की सबसे बड़ी त्रासदी देखी है, इस त्रासदी ने पुरे देश को हिलाकर रख दिया है. इन दुखभरे क्षणों में प्रशासन और सेना तो राज्य में बाढ़ पीड़ितों की मदद कर ही रहे हैं, लेकिन इनके अलावा कुछ और फ़रिश्ते भी हैं, जो अपनी ओर से केरल के लोगों को बचाने के लिए अपना सर्वस्व लगा रहे हैं. आज हम आपको जिन तीन लोगों की कहानी बताने जा रहे हैं, उनमे से दो नन्हे मददगार हैं, जिनके बारे में जानकार आप निश्चित ही उनसे प्रेम करने लगेंगे.
मछली बेचकर जुटाए थे पैसे
यह कहानी है केरल के ही इडुक्की जिले के थोडुपुझा में एक निजी कॉलेज में बीएससी करने वाली छात्र हन्नान की, जो कुछ दिन पहले कॉलेज यूनिफार्म में मछली बेचने के कारण चर्चा में आई थी. उस समय कुछ लोगों ने उसका मज़ाक भी बनाया था, तो कुछ लोगों ने इस लड़की की परिपक्वता की तारीफ भी की थी. हन्नान की मान बीमार होने के कारण उसे मछली बेचना पड़ती थी, घर में कमाई का कोई और साधन नहीं था. हन्नान ने तमाम मुश्किलों के बाद भी मछली बेचना और पढाई करना जारी रखा और जब केरल में बाढ़ आई तो इस लड़की ने मछली बेचकर जुटाए गए डेढ़ लाख रूपए मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिए. हन्नान के इस काम के लिए खुद मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने उन्हें शाबाशी दी.
साइकिल खरीदना चाहती थी 8 साल की बच्ची
केरल के ही विल्लुपुरम की एक आठ साल की लड़की, जो कक्षा दूसरी में पढ़ती है, शायद कई शब्दों का मतलब भी न जानती हो, लेकिन मदद का मतलब और महत्त्व दोनों इस बच्ची को अच्छी तरह पता है. दरअसल अनुप्रिया साइकिल खरीदना चाहती थी और इसके लिए अपने पिग्गीबैंक में काफी समय से थोड़े-थोड़े पैसे जमा कर रही थी. लेकिन जब उसे लगा की इन पैसों की जरुरत केरल के बाढ़ पीड़ितों को ज्यादा है, तो उसने तुरंत अपने पिग्गी बैंक से सारे पैसे मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिए. बच्ची के गुल्लक से कुल 8846 रूपये निकले थे, जिसे उसके पिता ने पुरे 9000 कर दिए. जब ये खबर एक अखबार में छपी तो हीरो साइकिल कंपनी के पंकज मुंजाल, अनुप्रिया के इस जज्बे से बहुत प्रभावित हुए और हीरो साइकिल ने इस बच्ची को एक साइकिल उपहार में दी.
मछुआरे खुद ही बन गए सीढ़ी
केरल के अधिकतर तटीय इलाकों में बड़ी संख्या में मछुआरे रहते है, बाढ़ के कारण इनमे से कई लोगों के घरोंदे उजड़ गए, लेकिन फिर भी ये मछुआरे बाढ़ में फंसे हुए लोगों की मदद कर रहे हैं, इन मछुआरों ने अपनी नाव एनडीआरएफ की टीम को दे रखी है. जैसाल केपी नामक मछुआरे का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमे वे प्रभावितों को नाव में चढ़ाने के लिए खुद सीढ़ी बन गए हैं, लोग उनकी पीठ पर पैर रखकर नाव में बैठ रहे है और उन्हें दुआएं दे रहे हैं. जैसाल नाम के इस आदमी ने NDRF की मदद के लिए टीम के साथ काम करना शुरू किया था.
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