कोच्ची: केरल में हाल ही में सबसे घातक भूस्खलन हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप 300 से अधिक निर्दोष लोगों की दुखद मृत्यु हो गई है, वहीं, 200 से अधिक अब भी लापता हैं और सैकड़ों घायल। इस विनाशकारी प्राकृतिक आपदा के बीच, सेना- NDRF पूरी जान लगाकर बचाव अभियान चला रहे हैं। वहीं, सेना, NDRF के साथ RSS और सेवा भारती वहां पीड़ित लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं। RSS और सेवा भारती के सदस्य पीड़ितों को भोजन-पानी और आश्रय मुहैया करा रहे हैं, साथ ही रास्ते से मलबा भी साफ़ कर रहे हैं, ताकि NDRF और सेना को प्रभावित इलाकों में पहुँचने में आसानी हो। इन संगठनों के स्वयंसेवक बचाव कार्यों में मदद करते हुए, आवश्यक आपूर्ति वितरित करते हुए और संकट के इस समय में विस्थापित निवासियों का समर्थन करते हुए ज़मीन पर देखे गए हैं।
फर्क साफ हें
— Sourav Pradhan (@msouravpradhan) August 2, 2024
केरल में एक तरफ RSS के स्वयंसेवक वायनाड में सेवा कर रहे हैं।
अर एक तरफ केरल के मुस्लिम कट्टरपंथी हमास आतंकी प्रमुख इस्माइल की मौत पर रैली निकाल रहे हैं।
लेकिन फिर भी विपक्ष को RSS से ही दिक्कत है! pic.twitter.com/K3bigtyZB1
इसके विपरीत, सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो ने आक्रोश पैदा कर दिया है और कुछ समूहों की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए हैं। वीडियो में मुसलमानों के एक समूह को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के चीफ इस्माइल हनीया की हत्या के खिलाफ़ विरोध मार्च आयोजित करते हुए दिखाया गया है। यह विरोध प्रदर्शन उस समय हुआ जब केरल भूस्खलन और लगातार बारिश के बाद के हालात से जूझ रहा है। फुटेज को व्यापक रूप से साझा किया गया है और इसकी आलोचना की गई है, जिसमें स्थानीय समुदाय को समर्थन और एकजुटता की सख्त ज़रूरत होने पर एक दूर के राजनीतिक मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने की कथित असंवेदनशीलता को उजागर किया गया है।
तृप्तिकरण के रुझान ?
— Rakesh Goyal (@Rakeshgoyal98) August 1, 2024
केरल में बरसात से तबाही मची है, 150 से ज्यादा मौतें हो चुकी है, NDRF की टीमें बचाव कार्य में लगी हैं !
वहीं केरल के कट्टरपंथी इजरायल द्वारा मारे गए इस्लामिक आतंकवादी संगठन हमास के सरगना इस्माइल हानिया की मौत को लेकर तेज बारिश में जुलूस निकाल रहे हैं ? pic.twitter.com/yIX0ZOoYVf
इस विरोधाभास ने केरल में विभिन्न राजनीतिक और वैचारिक समूहों की प्राथमिकताओं के बारे में बहस को जन्म दिया है। जहाँ सेना-NDRF और संघ के स्वयंसेवक दिन रात प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों की मदद करने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए दिखाई देते हैं, वहीं कम्युनिस्ट और इस्लामिस्ट अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दों को लेकर अधिक चिंतित दिखाई देते हैं। इस विरोधाभास ने कई लोगों को स्थानीय संकटों के समय अपने समुदाय के प्रति इन समूहों की प्रतिबद्धता और जिम्मेदारियों पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित किया है। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इन लोगों की प्राथमिकता क्या है ? अपने गांव, शहर, राज्य के लोगों की मदद करना, या केवल मजहब के नाम पर 7 समुन्दर पार मारे गए किसी कट्टरपंथी नेता की मौत पर विरोध प्रदर्शन करना ?
सोशल मीडिया पर दलितों को भड़काता था शाने आलम, शिकायत करने पर दी धमकी, यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार