कीटो डाइट, जिसे लो कार्ब डाइट भी कहा जाता है, वजन घटाने के लिए एक लोकप्रिय तरीका है। इस डाइट में शरीर को ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कार्बोहाइड्रेट्स की कम मात्रा दी जाती है, जिससे शरीर फैट्स को बर्न करता है। हालांकि, हाल ही में किए गए अध्ययनों ने यह खुलासा किया है कि यह डाइट स्वास्थ्य के लिए कई जोखिमों को जन्म दे सकती है।
कीटो डाइट क्या है?
कीटो डाइट में 75% फैट, 20% प्रोटीन, और 5% कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन किया जाता है। इसका उद्देश्य शरीर को कीटोसिस की स्थिति में लाना है, जहां शरीर ऊर्जा के लिए फैट्स को बर्न करता है। आमतौर पर, एनएचएस का मानना है कि आदर्श डाइट में 30% फैट, 15% प्रोटीन, और 55% कार्बोहाइड्रेट्स होना चाहिए।
रिसर्च और स्टडी
यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ द्वारा की गई एक स्टडी में, 57 लोगों को कीटो डाइट और लो शुगर डाइट पर रखा गया। 4 हफ्तों के अंत में, कीटो डाइट अपनाने वालों ने 2.9 किलोग्राम वजन घटाया, जबकि लो शुगर डाइट अपनाने वालों ने 2.1 किलोग्राम वजन घटाया। हालांकि, कीटो डाइट अपनाने वालों में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ गया और आंतों में बिफिडोबैक्टीरियम का स्तर घट गया। बिफिडोबैक्टीरियम पेट के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण बैक्टीरिया है जो पाचन में मदद करता है।
संभावित स्वास्थ्य जोखिम
कीटो डाइट के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:
बुरा कोलेस्ट्रॉल: इस डाइट से बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
गट हेल्थ: आंतों में बिफिडोबैक्टीरियम की कमी के कारण पेट में सूजन, खराब पाचन, और कमजोर इम्यून सिस्टम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
टाइप 2 डायबिटीज: कीटो डाइट के बाद सामान्य खाने पर लौटने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
कीटो डाइट वजन घटाने में सहायक हो सकती है, लेकिन इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव खतरनाक हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, फाइबर की कमी और बुरे फैट्स के उच्च स्तर के कारण दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। बेहतर विकल्प के लिए, लो शुगर डाइट को अपनाना ज्यादा सुरक्षित हो सकता है।
इस प्रकार, यदि आप वजन घटाना चाहते हैं, तो कीटो डाइट के बजाय एक संतुलित और सुरक्षित डाइट प्लान पर विचार करें, जो आपकी सेहत को लंबे समय तक बनाए रख सके।
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