लखनऊ: देश के राज्य उत्तर प्रदेश में फेफड़ों के जवाब देने के पश्चात् गंभीर अवस्था में पहुंची युवती की जान बचाने में केजीएमयू के डॉक्टरों ने बड़ी सफलता हासिल की. संस्थान में एडमिट मरीज का हीमोग्लोबिन भी 2 के आसपास पहुंच गया था, और वेंटिलेटर पर रखने के बाद भी हवा फेफड़े तक नहीं पहुंच पा रही थी. वही इस बीच ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विपिन कुमार सिंह ने मरीज को प्रोन वेंटिलेशन (पेट के बल लिटाकर ऑक्सीजन देना) देना निश्चित किया.
वही मरीज की अवस्था देख उनकी टीम भी चौंक गई थी. लगभग 18 दिन की मेहनत के पश्चात् कामयाबी हासिल हुई है. पूरी टीम बहुत खुश है. मरीज को दो दिन पश्चात् डिस्चार्ज करने की तैयारी है. मरीज के उपचार में लगी टीम में डॉ. विपिन कुमार सिंह के साथ टीवीयू प्रभारी प्रो. जीपी सिंह, डॉ. जिया, डॉ. राहुल, डॉ. प्रशस्ति, डॉ. प्रतिश्रुति, डॉ. अस्मिता, डॉ. प्रज्ञा, स्टाफ नर्स, अमरेंद्र, अनुपम, अभिषेक, दीपू सम्मिलित हैं.
बहराइच की सोनी गुप्ता (25) को जिला हॉस्पिटल से क्वीन मेरी हॉस्पिटल रेफर किया गया था. 11 जुलाई को सर्जरी के पश्चात् प्रसव हुआ. 24 घंटे पश्चात् बच्चे की मौत हो गई. हीमोग्लोबिन 2 के आसपास था. कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होने पर मरीज को क्वीन मेरी से ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट भेजा गया. साथ ही मरीज को सेप्टिक शॉक, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो चुका है. ऐसे अवस्था में शरीर में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है, वेंटिलेटर पर होने के पश्चात् भी फेफड़े बिल्कुल कड़े हो जाते हैं, जिससे वेंटिलेटर से हवा फेफड़े तक नहीं पहुंच पाती है. डॉक्टर्स की बहुत मेहनत के बाद ये सफलता प्राप्त हो पाई है.
वन नेशन वन राशनकार्ड योजना से जुड़े 4 नए राज्य, जम्मू कश्मीर का भी नाम शामिल
राम मंदिर पर फिर बोले दिग्विजय सिंह, कहा- 'सही मुहूर्त पर नहीं हो रहा भूमिपूजन'
कोर्ट की अवमानना वाले प्रावधान को चुनौती, प्रशांत भूषण, राम और शौरी ने SC में लगाई याचिका