किसी भी आयोजन में जाते हैं तो वहां भोज के बाद झूठी पटल उठाने के लिए कुछ लोग होते हैं और वही इस काम को करते हैं. लेकिन खंडवा में एक आयोजन ऐसा भी होता है जहां झूठी पत्तल उठाने के लिए बोली लगाई जाती है. जी हाँ, यहां झूठी पत्तल उठाने के लिए लोगों की भीड़ लगी होती है. आयोजन की व्यवस्था के अनुसार जो व्यक्ति सबसे ज्यादा रुपए की बोली लगाता है उसी का परिवार शुरू से अंत तक भोजन ग्रहण करने वालों की झूठी पत्तलें उठाता है. इस काम के बदले समाज को पैसा देता है. बताया जा रहा है कि झूठी पत्तल उठाने को यह लोग माता के आशीर्वाद के रूप में मानते हैं. इसी के साथ एक परंपरा जुड़ी हुई है.
दरअसल, खंडवा में नवरात्रि के दौरान गणगौर का पर्व बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इन दिनों यहां पूरी श्रद्धा के साथ माता की भक्ति पूजा और आराधना की जाती है. आखिरी दिनों में भंडारे का आयोजन होता है और सभी धार्मिक श्रद्धालुओं को बैठकर भोजन कराया जाता है. वहीं प्रजापति और कहार समाज के लोग इस आयोजन में होने वाले भंडारे के दौरान झूठी पत्तल उठाने की बोली लगाते हैं. पत्तल उठाने का यह काम एक श्रद्धा और माता के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि माताजी के पूजा में जो लोग भोजन करने आते हैं उनकी झूठी पत्तलें उठाने पर उन्हें माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. बताया जा रहा है कि पिछले 50 वर्षों से यह प्रथा इस समाज में चली आ रही है.
आपको बता दें, इस परम्परा की शुरुआत चैत्र मॉस की नवरात्रि से हुई , निमाड़ में गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसके समापन पर माता के नाम से भंडारे आयोजित किये जाते है. खासतौर पर कन्या को भोजन कराने की प्रथा प्रचलित है. कन्या को देवी स्वरूप में पूजा जाता है. उन्हें भोजन कराने के बाद, उन्हें जिस पत्तल में “प्रसाद स्वरूप” भोज कराया जाता है , उसे उठाने पर पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है. ये काम बरसो से चला आ रहा है जिसे करने के लिए सभी आगे आते हैं.
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