'वन नेशन-वन इलेक्शन' को लेकर खड़गे ने कही ये बात

'वन नेशन-वन इलेक्शन' को लेकर खड़गे ने कही ये बात
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मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ कराने की बात कही गई है। जहां एनडीए में शामिल पार्टियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, वहीं विपक्ष के नेताओं ने इसका विरोध किया है।

खड़गे ने उठाए सवाल: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का विरोध करते हुए इसे अव्यावहारिक बताया है। उनका कहना है कि बीजेपी चुनाव से पहले ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मुद्दे उठाती है। उन्होंने इसे संविधान, लोकतंत्र और संघवाद के खिलाफ बताते हुए कहा कि देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। खड़गे के इस बयान पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि 80% से ज्यादा लोगों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, खासकर युवा इसके पक्ष में हैं।

ओवैसी ने जताई चिंता: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव संघवाद को नष्ट करने वाला है और लोकतंत्र से समझौता करता है। ओवैसी का मानना है कि बार-बार चुनाव होने से लोकतांत्रिक जवाबदेही बढ़ती है, इसलिए इसे बंद करने की जरूरत नहीं है।

TMC का विरोध: TMC नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इस प्रस्ताव को बीजेपी का "लोकतंत्र विरोधी" हथकंडा बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावों के साथ महाराष्ट्र के चुनाव नहीं कराए जा सकते, तो 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की बात कैसे की जा रही है? उन्होंने यह भी पूछा कि इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए कितने संवैधानिक संशोधन किए जाएंगे।

मांझी और मायावती का समर्थन: NDA गठबंधन के सहयोगी और HAM प्रमुख जीतन राम मांझी ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से प्रशासनिक फैसले और नीतियां प्रभावित होती हैं और देश के खजाने पर भी बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि इससे दलित मतदाताओं को भी सुविधा मिलेगी। बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस प्रस्ताव को सकारात्मक बताया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इसका उद्देश्य देश और जनहित में होना चाहिए। उनका कहना है कि अगर इस व्यवस्था से देश को फायदा होता है, तो उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मुद्दा इस वक्त राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां सरकार इसे लागू करने के लिए आगे बढ़ रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां इसे संविधान और संघवाद के खिलाफ बता रही हैं। अब देखना होगा कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस प्रस्ताव को लेकर क्या फैसले होते हैं और देश की जनता इसे किस रूप में लेती है।

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