'ISKCON भक्तों का कत्ल करो..', जिस मंदिर ने खिलाया खाना, उसका कर्ज चुका रहा हिफाजत-ए-इस्लाम

'ISKCON भक्तों का कत्ल करो..', जिस मंदिर ने खिलाया खाना, उसका कर्ज चुका रहा हिफाजत-ए-इस्लाम
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ढाका: बांग्लादेश में सत्ता पर इस्लामिक कट्टरपंथी मानसिकता वाले लोगों का कब्जा हो गया है, खासकर शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद। इस माहौल में बीएनपी की अगुवाई में हिंदुओं पर हमले लगातार हो रहे हैं। हालांकि, देश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार, मुहम्मद यूनुस, इन अत्याचारों पर चुप्पी साधे हुए हैं। 

 

मुहम्मद यूनुस की सरकार के समर्थन से बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों का मनोबल बढ़ा है। इसका स्पष्ट उदाहरण है कि हिफाजत-ए-इस्लाम नामक चरमपंथी संगठन ने खुलेआम हिंदुओं के कत्लेआम का आह्वान किया है। इस संगठन ने इस्कॉन (ISKCON) के भक्तों को धमकियां दी हैं और खुलेआम कहा है, "हर एक इस्कॉन भक्त को पकड़ो, फिर कत्ल करो।"

 

बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हिफाजत-ए-इस्लाम ने चटगांव में आतंकवाद पर बात करते हुए इस्कॉन पर बैन लगाने की बात की है। नसरीन ने यह सवाल उठाया कि क्या इस्कॉन कोई आतंकी संगठन है, जो इतना बड़ा खतरा उत्पन्न करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्कॉन के लोग कभी किसी की हत्या नहीं करते, वे सिर्फ ‘हरे कृष्णा, हरे राम’ का जाप करते हैं, जबकि इस्लामिक आतंकवादी लोग अल्लाह हु अकबर का नारा लगाकर लोगों की हत्या करते हैं। जब बांग्लादेश में बाढ़ आई थी, तो यही इस्कॉन मंदिर था, जिसने प्रतिदिन 2 लाख लोगों को उनकी जाति-धर्म देखे बगैर खाना खिलाया था, लेकिन अब खुद को इस्लाम का ठेकेदार कहने वाले ये कट्टरपंथी, उन्ही भक्तों का क़त्ल करने जा रहे हैं।  

 

नसरीन ने यह भी कहा कि इस्कॉन दुनियाभर के देशों में फैल चुका है, लेकिन उसे कहीं ऐसे अत्याचारों का सामना नहीं करना पड़ा है, जैसा बांग्लादेश में हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश में अधिकतर लोग इस्लामिक कट्टरपंथी और जिहादी मानसिकता के होते हैं, जो गैर-मुस्लिमों को उनकी अपनी भूमि से भगाने का प्रयास करते हैं। 

इस बीच, इस्कॉन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है। हाल ही में बांग्लादेश की सरकार ने 80 हिंदुओं पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया था, जिन्होंने इस्लामी कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। इसके अलावा, चटगांव में इस्कॉन के खिलाफ कट्टरपंथियों द्वारा एक रैली भी निकाली गई थी, जिसमें भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।

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