नई दिल्ली: डोकलाम विवाद पर बदले रुख के बीच भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की 3-5 अप्रैल के बीच होने वाले भारत दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है। इस दौरान होने वाली मुलाकातों के दौरान भारत द्वारा दोकलाम मुद्दे को भी उठाया जा सकता है। भूटान नरेश स्थिति को स्पष्ट कर सकते हैं। दरअसल, डोकलाम विवाद को लेकर भूटान के हालिया रुख ने भारत की टेंशन बढ़ा दी हैं। ऐसे में सबकी नज़रें इस यात्रा पर टिकी हुई हैं।
हालांकि, विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट कर दिया है कि भूटान नरेश की यात्रा पीएम लोते शेरिंग के बयानों के कारण नहीं हो रही है, बल्कि इसकी तैयारियां बहुत दिनों से चल रही थी। मगर जिस तरह से चीन लगातार भूटान में अपनी पैठ जमा रहा है और बीते पांच-छह वर्षों के दौरान उसने कूटनीतिक तौर-तरीकों से भूटान के रुख में परिवर्तन ला दिया है, वह सुरक्षा कारणों से भारत के लिए चिंता पैदा करने वाला है।
जैसा कि सभी जानते हैं 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच उस वक़्त टकराव हुआ था, जब डोकलाम में चीनी सैनिकों ने भूटान के क्षेत्र में पड़ने वाली जमीन पर सड़क बनानी आरंभ कर दी थी। भारतीय सैनिकों ने इस रोक लिया था। यह स्थान सिक्किम के नजदीक है। जहां चीन एवं भूटान की सरहदें भी लगती हैं। तब भूटान का स्पष्ट मानना था कि चीन ने उसके क्षेत्र में घुसपैठ की है।
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