लंदन: 5 साल की उम्र में जब अली मिलानी ईरान से ब्रिटेन आए थे तो उन्हें अंग्रेजी बोलनी नहीं आती थी. अब 20 साल बाद वह इस सप्ताह होने वाले आम चुनाव में पीएम बोरिस जॉनसन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं. मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी के उम्मीदवार मिलानी वेस्ट लंदन के अक्सब्रिज और साउथ राइस्लिप निर्वाचन क्षेत्र में जॉनसन को हराने का दम भर रहे हैं. खास बात यह है कि कंजरवेटिव पार्टी के नेता जॉनसन 2017 में इस सीट पर मात्र 5,034 वोट से जीते थे. 1924 के बाद यह पहला मौका है जब कोई प्रधानमंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्र से इतने कम मतों से जीता था.
अक्सब्रिज यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं मिलानी: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हालांकि राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ जॉनसन की हार को असंभव बता रहे हैं, लेकिन स्वयं को स्थानीय उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे मिलानी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. अक्सब्रिज मॉडर्न ब्रूनेल यूनिवर्सिटी से स्नातक मिलानी मुस्लिम धर्मावलंबी होने के साथ ही नेशनल यूनियन ऑफ स्टूडेंटस के वरिष्ठ सदस्य रहे हैं. मिलानी से 30 साल बड़े जॉनसन लंदन के मेयर रहने के साथ ही ब्रिटेन के विदेश मंत्री भी रह चुके हैं. प्रतिष्ठित एटन स्कूल में शुरुआती पढ़ाई करने वाले जॉनसन ने ऐतिहासिक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रीक और लैटिन भाषा का भी अध्ययन किया है.
स्थानीय मुद्दों पर लोग जॉनसन से नाखुश: सूत्रों का कहना है ब्रिटेन में गुरुवार को होने वाला मतदान वैसे तो ब्रेक्जिट की पृष्ठभूमि पर ही होगा, लेकिन स्थानीय मुद्दों के महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता. यह बात ठीक है कि जिस निर्वाचन क्षेत्र से जॉनसन किस्मत आजमा रहे हैं वहां कंजरवेटिव पार्टी का प्रभुत्व है, लेकिन आम लोग स्थानीय अस्पतालों से खुश नहीं हैं. आइटी कंपनी में काम करने वाले 42 साल के माइकल फ्रिटास ने कहा, क्षेत्र में युवाओं की स्थिति अच्छी नहीं है और जॉनसन ने स्थानीय लोगों की उपेक्षा की है.
पाकिस्तानी पीएम भारतीय के हुए मुरीद, प्रवासियों को दी यह सलाह
फिदायीन हमलावर ने सुरक्षा नाके में टकरा दी विस्फोटकों से भरी कार, धमाके में 8 जवान शहीद