किन्नरों की शादी होती है इन भगवान से

किन्नरों की शादी होती है इन भगवान से
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किन्नरो (हिजड़ो) को कौन नहीं जानता। लेकिन क्या आप जानते है की इनकी भी शादी होती है। शायद नहीं लेकिन आज हम आपको बताते है। की आखिर क्या होता है। दरसल हमारे देश भारत के तमिलनाडु राज्य में एक देवता, अरावन की पूजा होती है। कई जगह इन्हे इरावन (Iravan) के नाम से भी जाना जाता है। अरावन, हिंजड़ो के देवता है इसलिए दक्षिण भारत में हिंजड़ो को अरावनी कहा जाता है। हिंजड़ो और अरावन देवता के सम्बन्ध में सबसे आश्चर्य वाली बात यह है की हिंजड़े अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते है। हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। अगले दिन अरावन देवता की मौत के साथ ही उनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है।

अब आपके मन में अनेक सवाल उठ रहे होंगे की आखिर ये अरावन है कौन, हिंजड़े उनसे क्यों शादी रचाते है और यह शादी मात्र एक दिन के लिए ही क्यों होती है ? हम बताते है आपको इन सबका जवाब।

महाभारत की कथा के अनुसार एक बार अर्जुन को द्रोपदी से शादी की एक शर्त के उल्लंघन पर इंद्रप्रश्त से निष्काषित किया गया था .वहां से निकलने के बाद अर्जुन उत्तर पूर्व भारत में कहले गए जहाँ पर उन्हें उलूपी नाम की एक विधवा नाग राजकुमारी मिली। उन दोनों में प्यार हो गया। और दोनों ने विवाह कर लिया। विवाह के कुछ समय पश्चात, उलूपी एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम अरावन रखा जाता है। पुत्र जन्म के पश्चात अर्जुन, उन दोनों को वही छोड़कर अपनी आगे की यात्रा पर निकल जाता है। अरावन नागलोक में अपनी माँ के साथ ही रहता है। युवा होने पर वो नागलोक छोड़कर अपने पिता के पास आता है। तब कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध चल रहा होता है इसलिए अर्जुन उसे युद्ध करने के लिए रणभूमि में भेज देता है।

महाभारत युद्ध में दी थी स्वयं की बलि - महाभारत युद्ध में एक समय ऐसा आता है जब पांडवो को अपनी जीत के लिए माँ काली के चरणो में स्वेचिछ्क नर बलि हेतु एक राजकुमार की जरुरत पड़ती है। जब कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है तो अरावन खुद को स्वेचिछ्क नर बलि हेतु प्रस्तुत करता है लेकिन वो शर्त रखता है की वो अविवाहित नहीं मरेगा। इस शर्त के कारण बड़ा संकट उत्त्पन हो जाता है क्योकि कोई भी राजा, यह जानते हुए की अगले दिन उसकी बेटी विधवा हो जायेगी, अरावन से अपनी बेटी की शादी के लिए तैयार नहीं होता है।

जब कोई रास्ता नहीं बचता है तो भगवान श्री कृष्ण स्वंय को मोहिनी रूप में बदलकर अरावन से शादी करते है। अगले दिन अरावन स्वंय अपने हाथो से अपना शीश माँ काली के चरणो में अर्पित करता है। अरावन की मृत्यु के पश्चात श्री कृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक उसकी मृत्यु का विलाप भी करते है। अब चुकी श्री कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में अरावन से शादी रचाते है इसलिए किन्नर, जो की स्त्री रूप में पुरुष माने जाते है, भी अरावन से एक रात की शादी रचाते है और उन्हें अपना आराध्य देव मानते है। बस इसीलिए हिजड़ो की शादी अरावन नामक भगवान से होती है।

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