शिव की अद्र्धांगिनी माता सती अर्थात् मां पार्वती अपने दिव्य स्वरूपों में विभिन्न 51 स्थानों पर शक्तिरूप में विराजित हैं। शक्ति के इन तेजस्वी और जागृत स्थलों को शक्तिपीठ के तौर पर जाना जाता है। यही नहीं देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। जिसमें पश्चिम बंगाल में हावड़ा स्टेशन से 2.5 किलोमीटर आगे लालबाग कोट स्टेशन है, हावड़ा वरहर लाईन पर और 5 किलोमीटर दूर बड़नगर में यहीं पर हुगली क्षेत्र है। पवित्र मां गंगा के तट पर स्थित है किरीट शक्तिपीठ ।
जी हां जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह स्थान मुकुट के लिए जाता जाता है। दरअसल जब माता सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ को भंग कर स्वयं अपनी आहूति दे दी तब भगवान शंकर शोक में डूब गए और वे माता सती का शव यहां वहां लेकर घूमने लगे। ऐसे में सृष्टि चक्र प्रभावित होने लगा। शोक में डूबे शिव को सहज करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती माता के विभिन्न अंगों को 51 टुकड़ों में बांट दिया।
जिसके बाद माता सती के ये अंग विभिन्न भागों में विभक्त होकर धरती पर गिरे। जहां भी माता के अंग गिरे वहां - वहां दीव्य शक्ति जागृत हो गई। दूसरी ओर इन शक्ति स्थलों को शक्ति पीठ के तौर पर जाना गया। माता सती के इस स्थल को किरीट शक्तिपीठ कहा जाता है दरअसल यहां मां का मस्तक आया था। यह शक्ति का बेहद जागृत केंद्र है। माता को यहां भुवनेश्वरी माता कहा जाता है। यहां श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है।
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