नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न बॉर्डर्स पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। बुजुर्ग, पूर्व सैनिक, महिलाओं और सेलिब्रिटीज के अलावा आंदोलन कर रहे किसानों को बच्चों का भी समर्थन मिला है। कृषकों के समर्थन में उतरे ऐसे ही एक नन्हें-मुन्ने सिपाही का नाम है- अंगद सिंह। अंगद, मूलरूप से राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले हैं। तीसरी कक्षा मे पढ़ने वाले आठ वर्षीय अंगद भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राकेश टिकैत के एक कैंप में हाल में दिखाई दिए।
जब अंगद को वहां देख मीडिया वालों ने उनसे सवाल पूछे, तो वे धड़ाधड़ कृषि कानूनों के कथित नुकसान गिनाने लगे और कहा कि सरकार बताए कि किसानों को कब और कहां आना है? गुरुवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया है कि वह किसान आंदोलन मे अपनी भागीदारी दर्ज कराते हुए गाजीपुर सीमा के अलावा अन्य सभी सरहदों (आंदोलन के केंद्र बने) पर जा चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि यह आंदोलन क्यों हो रहा है? अंगद ने जवाब दिया कि, किसान अपने हक के यह आंदोलन कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि तीन काले कानूनों को रद्द किया जाए और MSP की गारंटी दी जाए।' 'कानून तो कानून होता है, इसमे काला और गोरा क्या?' इस सवाल पर बच्चे ने जवाब देते हुए कहा कि, 'सबसे पहला कानून है- मंडी को लेकर। दूसरा कानून है- स्टोरेज का और तीसरा कानून है- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर।'
अंगद ने कहा कि 'पहला कानून है कि किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है, किन्तु किसान अपने पास की मंडी मे नहीं जाकर, टोल का पैसा देकर कहीं और गाड़ी कर के फसल बेचने क्यों जाएगा? अगला प्वॉइंट है- स्टोरेज पर। पहले एक सीमा थी कि इससे ज्यादा आप फसल को स्टोर नहीं कर सकते, लेकिन अब स्टोरेज लिमिट हट चुकी है। कहते हैं कितना भी स्टोर कर सकतें हैं। जब बड़े उद्योगपति सब कुछ स्टोर कर लेंगे, तो भूख की बोली लगेगी और छोटे छोटे पैकेट मे आटा बिकेगा। तीसरा कानून है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का तो कंपनी किसान के साथ अनुबंध करके एक भाव तय करेगी, पर जो किसान कॉन्ट्रैक्ट के तहत फार्मिंग नहीं करना चाहता, उसकी फसल का भाव तो निर्धारित ही नहीं है। इसके लिए MSP पर कानून बनाने की जरुरत है।
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