किसानों के 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ का शनिवार को दूसरा दिन है. इस आंदोलन से अब तक मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में सामान्य जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता दिखा. हालांकि, संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में आवश्यक सामग्री जैसे दूध एवं साग-सब्जयों की आपूर्ति पर इसका असर हो सकता है.अपनी फसल के वाजिब दाम, कर्ज माफीऔर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के लेकर किसान सड़क पर उतर आये है.
किसानों ने ऐलान किया है कि वे एक जून से दस जून तक शहरों को दूध, सब्जी और अनाज की आपूर्ति रोक देंगे. प्रशासन की सख्ती से इस बार किसान आंदोलन अभी तक उतना असरकारक भी साबित नहीं होता दिख रहा है. राष्ट्रीय मजदूर किसान संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी' ने लोगों से किसानों की हालत को लेकर गंभीरता से सोचने को कहा. उन्होंने शुक्रवार से शुरू हुई किसानों की 10 दिन की हड़ताल पर माफी मांगते हुए लोगों से कहा कि सोचिए यदि किसान फसल उगाना बंद कर देगा तो क्या होगा.
बता दें कि किसानों ने एक से 10 जून तक गांवों से शहरों में दूध और सब्जियों की आपूर्ति बंद करने का फैसला किया है. इस हड़ताल में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र,पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और छत्तीसगढ़ के किसान शामिल हैं. वही इस आंदोलन पर एक विवादित और गैरज़िम्मेदाना बयान देते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि किसानों के पास कोई मुद्दा नहीं है वो बेकार की चीजों पर ध्यान लगा रहे हैं.
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