मध्य प्रदेश : सरकार की किसान विरोधी नीतियों से परेशान महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान सड़कों पर उतर आए हैं . पिछले 5 दिन से आंदोलन जारी है .इस बीच दोनों सरकारों और किसान संगठनों में सुलह की भी खबरें सुनने को मिली लेकिन फिर आंदोलन में फूट पड़ने से दूसरे धड़ों में आंदोलन जारी है. दरअसल इस आंदोलन में अब सियासत हावी हो गई है.
स्मरण रहे कि महाराष्ट्र में एक जून को यह आंदोलन शुरू हुआ था. जिसने एमपी में भी अपना असर दिखा दिया. दोनों बीजेपी शासित राज्यों के सीएम ने आंदोलनकारियों से चर्चा कर उनकी मांगों के समर्थन में आश्वासन देकर हड़ताल स्थगित भी हो गई थी. लेकिन अब इस किसान आंदोलन अपने उद्देश्य से भटक गया है. जहाँ तक एमपी का सवाल है तो यहां हड़ताल में सियासत हावी हो गई है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वार्ता के बाद आंदोलन ख़त्म करने का फैसला किया है, लेकिन आंदोलन में अगुआ भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय किसान मज़दूर संघ ने संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ने का ऐलान किया है. दुखद बात यह है कि यह आंदोलन अब हिंसक होते जा रहा है .मंदसौर में लगातार बढ़ रहे किसानों के प्रदर्शन के बाद पूरे जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. वहीं बल्क मैसेज पर भी रोक लगा दी है. सुवासरा में किसानों और व्यापारियों के बीच झड़प होने की भी खबर है. व्यापारियों ने पूरे नगर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि उज्जैन बैठक में सरकार ने कृषि उपज मंडी में बेचे गए उत्पाद का 50 फीसदी का नकद भुगतान, मूंग की फसल की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने के साथ कई और निर्णय भी लिए गए. थे इस पर भारतीय किसान संघ के शिवकांत दीक्षित ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी. लेकिन भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय किसान मज़दूर संघ ने संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ने की बात कही है. इधर आम आदमी दूध और रोजमर्रा की जरूरत सब्जी के लिए परेशान है.
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