मनोरंजन जगत के योडलिंग किंग किशोर कुमार का आज जन्मदिन है। हिंदी फिल्म जगत में योडलिंग तथा किशोर कुमार दोनों ही शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची कहे जाते हैं। 'मैं हूं झुम झुम झुम झुम झुमरू।।' की बेहतरीन योडलिंग से लेकर मेरे जीवनसाथी फिल्म की `चला जाता हूं किसी की धुन में...` जैसी एक अलग ही अंदाज़ की मस्तीभरी यूडल हो। किशोर इस विधा के बेहतरीन जादूगर थे। किशोर कुमार ने कई गानों में भिन्न-भिन्न प्रकार की योडलिंग की है। आज किशोर कुमार के इसी योडलिंग जर्नी पर आपको लेकर चलते हैं।
योडलिंग की जर्नी आरम्भ होती है सुदूर स्विट्जरलैंड तथा ऑस्ट्रिया के बीच आल्प्स के पर्वतों से। वहां लोग एक स्थान से दूसरे स्थान कई किमी दूर तक, घाटियों के पार अपनी आवाज योडलिंग करके पहुंचाते थे। इसी विधा को बाद में उनके लोक संगीत में स्थान प्राप्त हुआ। तथा वहां के सांग्स की चर्चित शैली बन गई। अंग्रेजी का योडलिंग ऑस्ट्रो-बवेरियन शब्द `जोडलिंग` से लिया गया है जिसका मीनिंग है-वाक्यांश। यह सांग की वह शैली जिसमें कोई सिंगर श्रृंखलाबद्ध तरीके से अपनी नीचे की पिच तथा ऊपर की पिच के मध्य आता जाता है। आवाज़ में मॉड्यूलेशन उत्पन्न करता है। अबूझ शब्दावली में लगातार उतार-चढ़ाव के मध्य हायर रेंज से लो फिर हायर रेंज के बीच क्रम निरंतर जारी रखता है।
वही हुआ कुछ यूं कि किशोर कुमार के बड़े भाई अनूप कुमार कुछ योडलिंग रेकॉर्ड ले आए। घर पर उन्हें सुनकर योडलिंग का अभ्यास करने लगे। मजेदार बात यह है कि सभी भाइयों में अनूप को बकायदा संगीत की शिक्षा दिलवाई गई है। अनूप एवं किशोर कुमार में कौन अच्छी योडलिंग करता है - यह शर्त लग गई। बस, किशोर कुमार को धुन सवार हो गई। वे योडलिंग का अभ्यास करने लगे। एक बार तो जब अनूप कुमार कहीं बाहर से अपने घर पहुंचे तो उन्हें योडलिंग की आवाज सुनकर यह गलतफहमी हो गई कि एलपी रिकॉर्ड बज रहा है।
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