नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक के 11000 करोड़ रुपये हज़म करके देश से फरार हुए हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ सीबीआई, ख़ुफ़िया एजेंसियां, भारतीय पुलिस और भी कई एजेंसियां जांच में लगी हुई है, आरोप भी लग रहे हैं और सबूत भी मिल रहे हैं. लेकिन, जब इन दोनों पर कार्यवाही की बात आती है तो सबके हाथ बंध जाते हैं, क्योंकि दोनों देश में है ही नहीं तो उनपर कार्यवाही कैसे करें. हाँ, उन्हें भारत लाकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है, लेकिन क्या इस महाठग को भारत लाया जा सकता है, आइये जानते हैं प्रत्यर्पण के नियम.
विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, प्रत्यर्पण संधि के तहत कोई भी देश किसी आरोपी को दूसरे देश को सौंपता है. यह तभी संभव होता है, जब आरोपी का अपराध साबित हो जाए और कोर्ट उसे दोषी करार दे दे. लेकिन यह तभी होगा जब आरोपी का अपराध, दोनों देशों में अपराध माना जाता हो. भारत अगर नीरव को प्रत्यर्पित करना चाहे तो उसे एक लम्बी अदालती प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो कि इतनी आसान नहीं है. क्योंकि दूसरे देशों के साथ हुई भारत की प्रत्यर्पण संधि में दशकों से कोई बदलाव या संशोधन नहीं किया गया है.
इसके लिए सबसे पहले तो यह पता लगाना होगा कि, नीरव किस देश में हैं और भारत के साथ उस देश के साथ प्रत्यर्पण संधि किस प्रकार की है. इसके बाद प्रत्यर्पण की विधि शुरू करनी होगी. आपको बता दें कि, धोखाधड़ी का एक और आरोपी विजय माल्या ब्रिटेन में रह रहा है जिसे संधि के जरिये भारत लाने की कोशिश की जा रही है. भारत की 43 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है.
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