विश्व स्वास्थ्य संगठन को चीन में निमोनिया से मरने वाली बात काफी समय पहले पता चली थी. जिसे अब छह महीने बीत चुके है. लेकिन कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं मिल पा रही है. इन 180 दिनों में दुनिया 360 डिग्री घूम चुकी और बदल चुकी है. सदियों से चली आ रही हर व्यवस्था बदल चुकी है. कोविड-19 ने पहले चीन और इसके बाद दुनिया के लगभग सभी देशों को प्रभावित किया है.
डॉ असीम गुप्ता के परिजनों से मिलेंगे सीएम केजरीवाल, देंगे एक करोड़ की सम्मान राशि
गार्जियन के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना ने 1 करोड़ लोगों को अपना शिकार बना लिया है. जबकी मरने वाला का आंकड़ा 5 लाख के पार पहुंच गया है. इन परिस्थितियों में बॉर्डर बंद कर दिए गए, लॉकडाउन लगा दिया गया और कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. आइए जानते हैं कि इन छह महीनों में इस महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई कहां तक पहुंची है और इसे हराने में हमारी राह कितनी आसान हुई है.
स्कूल में छिपे थे आतंकवादी, सुरक्षाबलों ने उतारा मौत के घाट
बढ़ती उम्र में कोरोना का बढ़ता खतरा
वूलहाउस के अनुसार 15 साल के व्यक्ति की तुलना में 75 साल के व्यक्ति को कोरोना संक्रमण का खतरा काफी अधिक है. जानकारों का माना है, कि 75 साल के व्यक्ति को कोरोना संक्रमण का खतरा 10 हजार गुना है. वृद्धों में वायरस का प्रभाव घातक होता है. इससे बचने के लिए घरेलू जैव सुरक्षा की अवधारणा का आविष्कार करना होगा. गार्जियन के अनुसार यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में महामारी विज्ञान की प्रोफेसर एनी जॉनसन ने कहा कि कोविड-19 को ट्रैक करने और नियंत्रित करने में सबसे बड़ी समस्या बिना लक्षण वाले लोग हैं. पहले हमें यह बात पता ही नहीं थी. उन्होंने कहा कि महामारी डाटा एकत्रित करना आगामी महीनों में हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. आयु, लिंग आदि के आधार पर तथ्यों को स्थापित कर बीमारी को खत्म करने में बड़ा अंतर लाया जा सकता है.
गोलियों की तड़तड़ाहट से गूँज उठा कानपुर, देर रात हुए एनकाउंटर में 8 पुलिसकर्मी शहीद
कानपुर एनकाउंटर पर सख्त हुए सीएम योगी, बोले- पुलिसकर्मियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
लद्दाख के इलाके में भारत भेज रहा अपना सबसे ताकतवर हथियार, भागते फिरेंगे चीनी सैनिक