भारत-पाकिस्तान के मध्य होने वाला कारगिल युद्ध करीब 60 दिनों तक चला था, और 26 जुलाई को खत्म हुआ. वर्ष 1999 के इन 60 दिनों के घटनाक्रम के बारे में सेना और सरकार द्वारा जिन जानकारियों का खुलासा हुआ, उसके अनुसार युद्ध की नींव वर्ष 1999 के फरवरी माह में ही रख दी गई थी. तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1999 में बस से लाहौर गए थे और उन्होंने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात भी की थी. तब उस समय पूर्व प्रधानमंत्री के साथ मंत्रीमंडल के मंत्री, कलाकार आदि भी साथ गए थे. वही एक तरफ पाकिस्तान के साथ संबंध सुधर रहे थे, तो दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना भारत के विरुद्ध साजिश रच रही थी.
तब चरवाहों से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, च्विटनेस टू ब्लंडर-कारगिल स्टोरी अनफोल्डच् किताब का दावा है, कि पाक की 6 नार्दर्न लाइट इंफैंट्री के कप्तान इफ्तेखार अपने सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर बैठे हुए थे, तभी उन्हें भारतीय चरवाहे दिखाई दिए. कुछ समय में चरवाहों के साथ भारतीय सेना के जवान भी पहुंचे. तत्पश्चात, लामा हेलीकॉप्टर उड़ता हुआ आया. तभी सुचना मिली कि पाक सैनिकों ने कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया है.
वही भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 के पश्चात् भी कई सैन्य संघर्ष होते रहे हैं. दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण की वजह से तनाव और अधिक बढ़ गया था. तब स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी वर्ष 1999 में लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए. इसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाने का वादा किया गया. परन्तु पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को छिपाकर सीमा रेखा के पार भेजना प्रारम्भ किया. जिसे ‘ऑपरेशन बद्र’ का नाम दिया गया था. इसका मुख्य लक्ष्य कश्मीर और लद्दाख के मध्य के सम्बन्ध को तोड़कर भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था.
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