महिंद्रा एंड महिंद्रा, जो आज देश ही नहीं बल्कि विश्व की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक मानी जाती है, की शुरुआत आजादी से पहले हुई थी। इस कंपनी ने भारतीय बाजार में अपने ट्रैक्टर और ट्रकों से अपार सफलता प्राप्त की है और अब इसकी कमान चेयरपर्सन आनंद महिंद्रा के हाथों में है।
महिंद्रा का मोहम्मद से गहरा नाता
महिंद्रा एंड महिंद्रा की शुरुआत में मोहम्मद का गहरा संबंध था। कंपनी की शुरुआत के समय इसका नाम महिंद्रा एंड मोहम्मद था। हालांकि, 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद कंपनी का नाम बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा कर दिया गया।
महिंद्रा की शुरुआत
महिंद्रा एंड महिंद्रा की नींव 2 अक्टूबर 1945 को लुधियाना, पंजाब में रखी गई थी। उस समय इस कंपनी के तीन प्रमुख पार्टनर्स थे: केसी महिंद्रा, जेसी महिंद्रा और गुलाम मोहम्मद। शुरुआत में, कंपनी स्टील का कारोबार करती थी और गुलाम मोहम्मद की इसमें हिस्सेदारी थी।
1947 की घटना और कंपनी का नाम
साल 1947 में, जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो गुलाम मोहम्मद ने पाकिस्तान जाना उचित समझा। इसके साथ ही उनका इस कंपनी से नाता भी टूट गया। गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान के पहले वित्त मंत्री बने और बाद में गवर्नर भी रहे।
कंपनी के नाम से जुड़ी ऐतिहासिक घटना यह है कि विभाजन के समय, महिंद्रा एंड मोहम्मद नाम के दस्तावेज़ पहले से ही मौजूद थे। कंपनी के लेटरहेड और बिल्स पर इसी नाम से प्रिंट किया गया था। नाम बदलने की प्रक्रिया में कंपनी की काफी स्टेशनरी खराब हो गई। इसी वजह से कंपनी ने अपने नाम को M & M ही रहने दिया और बाद में इसे महिंद्रा एंड महिंद्रा के नाम से जाना जाने लगा।
महिंद्रा एंड महिंद्रा की दास्तां
महिंद्रा एंड महिंद्रा की यात्रा ने इसे भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक बना दिया। कंपनी ने अपने ट्रैक्टर, ट्रक, और अब ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी जबरदस्त पहचान बनाई है। आज भी, आनंद महिंद्रा की नेतृत्व में कंपनी लगातार अपने उत्पादों और सेवाओं के साथ नया मुकाम हासिल कर रही है।
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