जानिए किस तरह चुना जाता है किसी भी तूफ़ान का नाम...?

जानिए किस तरह चुना जाता है किसी भी तूफ़ान का नाम...?
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जब भी कोई बड़ा तूफान आता है, हम उसका एक अलग और अनोखा नाम सुनते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन तूफानों के नाम कैसे और किसके द्वारा चुने जाते हैं? क्या इसके लिए कोई विशेष नियम होते हैं? आइए, जानते हैं इस पूरी प्रक्रिया के बारे में....

किसे मिलती है तूफान का नाम चुनने की जिम्मेदारी?:  तूफानों का नाम चुनने की जिम्मेदारी किसी एक देश के पास नहीं होती है। इसके बजाय, यह काम कुछ विशेष केंद्रों के पास होता है जिन्हें 'क्षेत्रीय तूफान केंद्र' कहा जाता है। ये केंद्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization - WMO) के तहत काम करते हैं। इनका मुख्य काम तूफानों की निगरानी करना और उनके बारे में जानकारी देना है।

तूफानों के नामकरण की प्रक्रिया क्या होती है?: हर महासागर के क्षेत्र में एक या उससे ज्यादा क्षेत्रीय तूफान केंद्र होते हैं। ये केंद्र तूफानों की गतिविधियों पर निगाह रखते हैं और उन्हें नाम देने का काम भी करते हैं।

नामकरण की सूची कैसे बनाई जाती है?: हर क्षेत्रीय तूफान केंद्र के पास पहले से एक नामों की सूची होती है। इस सूची में अलग-अलग देशों द्वारा दिए गए नाम शामिल होते हैं। जब कोई नया तूफान बनता है, तो उस सूची से एक नाम चुना जाता है। लेकिन यह ध्यान रखा जाता है कि नाम छोटा और आसानी से याद रहने वाला हो। नाम ऐसा होना चाहिए कि वो किसी विशेष समूह, व्यक्ति, या धर्म का अपमान न करे।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का क्या रोल है?: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का काम इस पूरी नामकरण प्रक्रिया को एक समान बनाए रखना है। WMO यह सुनिश्चित करता है कि सभी क्षेत्रीय केंद्र एक जैसे नियमों का पालन करें और तूफानों के नाम चुनने में किसी तरह की गड़बड़ी न हो। इस तरह, जब भी कोई नया तूफान आता है, उसे एक ऐसा नाम दिया जाता है जिसे सभी आसानी से याद रख सकें और जो किसी के लिए आपत्तिजनक न हो।

क्या नाम दोहराए जाते हैं?: अगर कोई तूफान बहुत ही ज़्यादा नुकसान करने वाला साबित होता है, तो उसका नाम भविष्य में दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। उसकी जगह किसी और नाम को सूची में शामिल कर लिया जाता है।

तूफानों के नाम क्यों रखे जाते हैं?: तूफानों के नाम रखने का मुख्य मकसद यह होता है कि लोग उसे आसानी से याद रख सकें और उस तूफान से जुड़ी चेतावनियों को गंभीरता से लें। अगर हर तूफान को एक नंबर दिया जाता, तो उसे याद रखना मुश्किल हो जाता। नाम रखने से संवाद में भी आसानी होती है।

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