प्रकृति का नियम है की जो भी जीव इस दुनिया में आया है उसे एक दिन मृत्यु अवश्य आती है. मृत्यु इस संसार का अटल सत्य है जिसे टाला नहीं जा सकता है. किन्तु व्यक्ति की मृत्यु के पूर्व उसे जो अनुभव होता है इस विषय में शास्त्र और विज्ञान के बीच सदैव मतभेद रहा है. विज्ञान की माने तो आत्माओं का कोई अस्तित्व नहीं होता किन्तु हमारे शास्त्र के अनुसार व्यक्ति का शरीर मरता है उसकी आत्मा अमर होती है. आज हम आपसे इसी विषय पर चर्चा करेंगे.
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है तब उस व्यक्ति को अपना प्रतिबिम्ब पानी में दिखाई नहीं देता है. जिस प्रकार हमें स्थिर जल में अपना प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखाई देता है उस व्यक्ति को जिसकी मृत्यु होने वाली होती है . वह स्पष्ट दिखाई न देता हो. तथा उसे अपना प्रतिबिम्ब तेल या किसी अन्य तरल पदार्थ मेंस्पष्ट दिखाई देता है.
शास्त्रों में बताया गया है की मरने वाले व्यक्ति की आवाज उसके मरने के कुछ समय पूर्व ही बंद हो जाती है जिससे मरने वाला व्यक्ति चाह कर भी कुछ बोल नहीं सकता. उस मरने वाले व्यक्ति की आवाज उसके गले में ही दबकर रह जाती है मानो किसी में उसका गला दबाया हो. और कई बार तो ऐसा होता है की उस व्यक्ति की बोलने की कोशिश में उसका मुख खुला ही रह जाता है.
शास्त्रों में वर्णित किया गया है की मृत्यु के समय व्यक्ति की आँखें बहुत ही कमजोर हो जाती है और उसे स्पष्ट रूप से कुछ भी दिखाई नही देता है.जिससे की वह अपने पास बैठे किसी भी व्यक्ति को देख नही पाता है.तथा कुछ समय पश्चत ही उसकी मृत्यु हो जाती है.
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