नई दिल्ली: 2013 में जब जसप्रीत बुमराह ने क्रिकेट दुनिया कदम रखा था, तब शायद उन्हें कोई जनता नहीं था. लेकिन आज इनकी टीम में एक अहम जगह बन गई है. बुमराह की गेंदबाजी इतनी शानदर है, कि जब भी टीम को आखिरी ओवर में विकेट की ज़रूरत पड़ती है तो मैदान में गेंदबाजी बुमराह करते हुए नज़र आते है, और टीम को संकट से मुक्त करवाते है. यूं तो बुमराह ने अपने जीवन में कई विपरीत परिस्थितियों का सामना किया है. जिससे वो कभी डरे नहीं साथ ही अपने खेल को और निखारते रहे.
6 दिसंबर 1993 में जसप्रीत बुमराह का जन्म अहमदाबाद में हुआ था. इनके पिता जसबीर सिंह बिजनेसमैन थे, और इनकी मां प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल थीं. जसप्रीत जब 7 साल के थे तभी उनके पापा का निधन हो गया था. फिर उसके बाद उनकी मां ने जसप्रीत और उनकी बहन बेटी को खुद पाल-पोसकर इतना बड़ा किया, वही जसप्रीत ने शुरुआत में उसी स्कूल में ही पढ़ाई की जिस स्कूल में उनकी मां प्रिंसिपल थी. जसप्रीत को शुरुआत से ही क्रिकेट में काफी रूचि थी जिसकी शुरुआत उन्होंने अपने घर से ही की है.
जसप्रीत अपने घर की दीवार पर गेंदबाजी करते थे, वही एक दिन उनकी मां उनकी इस हरकत से काफी परेशन हो गई जिसके बाद उनकी मां ने कहा की खेलना है तो ऐसे खेलो की आवाज़ न आए. जिसके बाद जसप्रीत ने गेंदबाजी करने का एक नया तरीका ढूंढ निकला, और वो दीवार की जगह फ्लोर स्कर्टिंग (फ्लोर को जोड़ने वाले निचले छोर) पर बॉल फेंकने लगे, यही से जसप्रीत ने यॉर्कर गेंदबाजी करना सीखी. बता दे चले बुमराह ने आईपीएल में अपना डेब्यू मैच 4 अप्रैल 2013 को मुंबई इंडियन्स की ओर से रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ खेला. यहां उन्होंने 32 रन देकर 3 विकेट चटकाए थे.
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