हस्तरेखा विज्ञान से किसी भी व्यक्ति के भविष्य को देखा जा सकता है। ज्योतिष की इस विधा को सीखना आसान है। बस हमें हथेली पर बनने वाली रेखाओं की जानकारी और उभरे हुए पर्वतों के बारे में मालूम होना चाहिए। हथेली देखते समय आपको सबसे पहले अंगुलियों, अंगूठे और उसकी हथेली की बनावट को देखना चाहिए। इन दोनों हाथों की रेखाओं और उनकी बनावट के बीच का अंतर समझने की जरूरत है।
यदि लड़की है तो उसका बायां हाथ देखें और लड़का है तो उसकी दायीं हथेली देखें। हस्त रेखा देखने की शुरुआत करने से पहले अंगूठा देखें, इसके बाद हथेली की कोमलता या कठोरता को देखें। हाथों का अध्ययन आप जितनी गहराई और ध्यान से करेंगे, आपका भविष्यफल उतना ही सटीक और सही होगा। रेखाएं जो हमारे हाथ में दिखाई देती हैं उनका हमारे भविष्य से गहरा संबंध होता है। यदि इन रेखाओं का अध्ययन ध्यान से किया जाए तो हमें हमारे भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी जानकारी प्राप्त हो सकती है। वैसे तो हमारे हाथों की सभी रेखाओं को अलग-अलग महत्व दिया गया है। किसी व्यक्ति के पूरे जीवनकाल में उसे कितना मान-सम्मान और पैसा मिलेगा इन सब की भी जानकारी रेखाओं के अध्ययन से मालूम की जाती है। लेकिन इसके लिए हमें हथेली की रेखाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।
हथेली पर बनने वाली प्रमुख रेखाएं
हृदय रेखा हथेली के ऊपरी हिस्से और उंगलियों के नीचे होती है। यह छोटी उंगली से शुरू होती है और तर्जनी उंगली की तरफ बढ़ती है। मस्तिष्क रेखा की शुरुआत तर्जनी उंगली के नीचे से होती है जो बाहर के किनारे की ओर बढ़ती जाती है। जीवन रेखा अंगूठे और तर्जनी के बीच से निकलती है और कलाई की तरफ यानि मणिबंध तक बढ़ती है। हथेली के नीचे का स्थान जिसे हम मणिबंध कहते हैं, वहां से निकलकर जो रेखा मध्यमा उंगली के पास जाती है, वह भाग्य रेखा कहलाती है। विद्या रेखा की शुरुआत अनामिका और मध्यमा उंगली के बीच से होती है। यह रेखा अनामिका उंगली की तरफ झुकी होती है।विवाह रेखा छोटी उंगली के नीचे वाले हिस्से में होती है।
हथेली की रेखाओं और पर्वतों को इस तरह समझिए
यदि किसी व्यक्ति की हथेली पर रेखाएं अधिक कटी-फटी हैं तो यह उसके लिए अशुभ संकेत नहीं है। जबकि स्पष्ट रेखाएं शुभता को दर्शाती हैं। वहीं हथेली में पर्वतों का उभार जितना होगा उतना ही उस व्यक्ति के लिए अच्छा होगा।
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