जन्म कुंडली के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य, भूत और वर्तमान को जाना जा सकता है। इसलिए अपने बारे में जानने के लिए लोग अपनी कुंडली को लेकर किसी ज्योतिषी के पास जाते हैं। परन्तु आज हम आपको कुंडली देखने का आसान तरीका बता रहे हैं, जिसके माध्यम से आप स्वयं की कुंडली को देखकर अपने आने वाले कल को जान सकते हैं। कुंडली देखने का आसान तरीका कुछ इस प्रकार है...
जन्म कुंडली क्या है?
जन्मकुंडली वह पत्री है जिसमें आपके जन्म के समय आकाश मंडल में जो ग्रह, नक्षत्र व राशियों की स्थिति है, उन्हे दर्शाया जाता है। कुंडली में बारह खाने होते हैं और इन खानों में राशियां और ग्रह बैठे होते हैं जिनके माध्यम से व्यक्ति के भाग्य की गणना की जाती है। कुंडली में जो नंबर होते हैं वे राशियों को दर्शाते हैं।
कुंडली में भाव क्या कहते हैं?
कुंडली में आपने देखा होगा कि उसमें खाने बने होते हैं। इन्हीं खानों को भाव या घर कहते हैं। इनकी संख्या 12 है। ये बारह खाने या भाव व्यक्ति के संपूर्ण जीवन की व्याख्या करते हैं। यहाँ मोटे तौर पर जानिए कि पहला भाव व्यक्ति के चरित्र, स्वभाव, रंग रूप के बारे में बताता है। इसे लग्न भाव की कहते हैं। दूसरा भाव धन, वाणी और प्रारंभिक शिक्षा का होता है। तीसरा छोटे भाई-बहन, साहस, पराक्रम का होता है, चौथा भाव सुख भाव कहलाता है। इस भाव से माता, वाहन, प्रोपर्टी आदि चीज़ों को देखा जाता है। पांचवां भाव उच्च शिक्षा, संतान, प्रेम, रोमांस की विवेचना करता है। छठे भाव से शत्रु, रोग, कंपटीशन आदि को देखा जाता है।
सप्तम भाव विवाह भाव होता है। इस भाव से जीवनसाथी और जीवन में होने वाली किसी भी तरह की पार्टनरशिप को देखा जाता है। आठवां घर जीवन में आने वाली अचानक घटनाओं का बोध कराता है। नौवां भाव धर्म, गुरु और भाग्य, लंबी दूरी की यात्रा का होता है। दसवां घर कर्म भाव कहलाता है। इस भाव से व्यक्ति के प्रोफेशन और उसके पिता को देखा जाता है। ग्यारहवां भाव लाभ का घर होता है। इससे आमदनी और जीवन में प्राप्त होने वाली सभी प्रकार की उपलब्धियों, बड़े भाई-बहन, मित्र आदि को देखा जाता है। बारहवां घर हानि का भाव होता है। इससे जीवन में होने वाली सभी तरह की हानियों, खर्च, विदेश यात्रा आदि को देखा जाता है।
जन्म कुंडली में राशियां
भाव में राशियां बैठी होती हैं, एक भाव में एक राशि होती है। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन। इन प्रत्येक राशियों का अपना स्वभाव, चरित्र होता है। पहले खाने में व्यक्ति जो राशि होती है उसे लग्न राशि कहते हैं। जबकि जिस राशि में चंद्रमा बैठा हो उसे चंद्र और जिसमें सूर्य बैठा हो उसे सूर्य राशि कहते हैं।
जन्मपत्रिका में ग्रह
आपकी कुंडली के भाव में ग्रह बैठे होते हैं। जन्मपत्री के किसी भाव में एक, या दो अथवा इससे अधिक ग्रह बैठे हो सकते हैं। ग्रह के योग को युति कहते हैं। इन ग्रहों का आपस में संबंध है। ये संबंध शत्रुता, मित्रता और सम भाव का होता है। ज्योतिष में इन ग्रहों की संख्या नौ है। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। इन ग्रहों का अपना-अपना स्वभाव होता है। इनमें चंद्र, बृहस्पति और शुक्र सौम्य ग्रह हैं। वहीं सूर्य, मंगल, शनि और राहु-केतु क्रूर ग्रहों की श्रेणी में आते हैं। इसके साथ ही राशियों के साथ भी इनका संबंध होता है। राहु-केतु को छोड़कर सभी ग्रह एक या दो राशि के स्वामी होते हैं। इन सभी ग्रहों की कोई उच्च राशि होती है तो कोई नीच राशि होती है।
कुंडली में ग्रहों की दृष्टि
कुंडली देखने के लिए हमें ग्रहों की दृष्टि का मालूम होना चाहिए। ये दृष्टि शुभ और अशुभ दोनों प्रकार की हो सकती है। सभी ग्रह जिस भाव में बैठे हैं उससे सातवें घर को देखते हैं। फिलहाल कुछ ग्रह सातवें के अलावा भी अन्य भावों में दृष्टि रखते हैं। जैसे मंगल चौथे और आठवें घर को भी देखता है। बृहस्पति अपने स्थान से पंचम और नवम भाव को भी देखता है। जबकि शनि अपने स्थान से तीसरे और दसवें घर भी दृष्टि रखता है। एक तरफ राहु-केतु सप्तम भाव के अलावा पंचम और नवम भाव को देखते हैं।
कुंडली देखने का आसान तरीका
-नीच राशि में ग्रह शुभ फल नहीं देते हैं।
-उच्च राशि में कोई भी ग्रह शुभ फलकारी होता है।
-शत्रु ग्रहों के साथ युति से नकारात्मक फल मिलता है।
-ग्रहों की दृष्टि का फल राशि और उसके संबंधानुसार पड़ता है।
-मित्र ग्रहों की युति शुभ फलकारी होती है।
-कुंडली में बनने वाले राजयोग के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
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