प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ता के अधिकारों और आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन को उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा है. जिसके माध्यम से यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि उपभोक्ता के अधिकार बाजारवाद और सामजिक अन्याय के शिकार तो नहीं होने लगे है. आइए जानते हैं विश्व उपभोक्ता अधिकार का इतिहास और महत्व...
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व: भारत में, राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस 24 दिसंबर को सेलिब्रेट किया जाता है. क्योंकि भारत के राष्ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1949 के अधिनियम को मंज़ूर किया था. हालांकि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस आज के दिन यानी कि 15 मार्च को ही सेलिब्रेट कर रहा है. क्या आप जानते हैं कि भारत में उपभोक्ताओं के अधिकार क्या हैं? उपभोक्ता अधिकार की परिभाषा 'सूचना का अधिकार' है, उपभोक्ता केस, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने निम्नलिखित अधिकार सूचीबद्ध किए हैं:
1. सुरक्षा का अधिकार
2. सूचित किए जाने का अधिकार
3. चुनने का अधिकार
4. सुने जाने का अधिकार.
5. समस्या के समाधान का अधिकार
6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार.
विश्व उपभोक्ता दिवस का इतिहास: विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का विचार राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने पेश किया था. 15 मार्च 1962 को, राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने अमेरिकी कांग्रेस को औपचारिक रूप से संबोधित करते हुए उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को मजबूती से उठाया जा चुका है. जॉन एफ कैनेडी उपभोक्ता अधिकारों की बात करने वाले वर्ल्ड के पहले नेता थे. हम बता दें कि 9 अप्रैल 1985 को संयुक्त राष्ट्र ने उपभोक्ता संरक्षण के लिए सामान्य दिशानिर्देशों को अनुमति दे दी. वर्ष 1983 में, विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पहली बार सेलिब्रेट किया गया. तभी से से, विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है.
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