फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी 17 मार्च को होलिका दहन होगा और उसके अगले दिन रंगवाली धुलेंडी मनाई जाएगी। वहीं उसके बाद 22 मार्च को रंगपंचमी का त्योहार रहेगा। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
अब हम आपको बताते हैं कुछ नियम-
भद्रा में नहीं होता है पूजन : आप सभी को बता दें कि किसी भी प्रकार का पूजन भद्राकाल में नहीं होता है। वहीं भद्रा पूंछ रात 09:06 बजे से 10:16 मिनट तक रहेगा। इसी के साथ भद्रा मुख 17 मार्च की रात 10:16 बजे से मध्यरात्रि 12:13 बजे तक रहेगा। आपको बता दें कि इस दौरान दहन करने का शुभ मुहूर्त 17 मार्च 2022 की रात 09:06 बजे से 10:16 मिनट तक रहेगा। इसका मतलब है कि होलिका दहन के लिए केवल 1 घण्टा 10 मिनट का समय मिलेगा।
नवविवाहित न देखें होली : आपको बता दें कि नवविवाहित लड़कियों के लिए होलिका दहन की आग को देखना मना है क्योंकि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसका मतलब है कि आप अपने पुराने साल के शरीर को जला रहे हैं, इस वजह से नवविवाहित महिलाओं के लिए होलिका की अग्नि को देखना ठीक नहीं माना जाता है। जी हाँ और यह उनके वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं होता है।
गर्भवती महिला या प्रसूता महिला न देखें होली : आप सभी को बता दें कि गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए और न ही उन्हें होली की अग्नि को देखना चाहिए। जी हाँ क्योंकि ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि वे महिला भी इन नियमों का पालन करें जो हाल ही में मां बनी हैं।
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