25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस डे, जानिये क्या है कारण

25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस डे, जानिये क्या है कारण
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 प्रभु यीशु के जन्मदिन के मौके पर क्रिसमस के दिन भारत समेत पूरी दुनिया में क्रिसमस पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 24 दिसम्बर रात से ही ‘हैप्पी क्रिसमस-मेरी क्रिसमस’ से बधाइयों का सिलसिला जारी हो जाता है। देश के सभी शहरों में लोगों के घर ‘क्रिसमस ट्री’ सजाया जाता है, तो सांता दूसरों को उपहार देकर जीवन में देने का सुख हासिल करने का संदेश देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं क्रिसमस 25 को ही क्यों मनाया जाता है। 25 को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस जानिये क्या इसके पीछे की पूरी बात क्रिसमस का आरंभ करीबन चौथी सदी में हुआ था। इससे पहले प्रभु यीशु के अनुयायी उनके जन्म दिवस को त्योहार के रूप में नहीं मनाते थे। यीशु के पैदा होने और मरने के सैकड़ों साल बाद जाकर कहीं लोगों ने 25 दिसम्बर को उनका जन्मदिन मनाना शुरू किया। मगर इस तारीख को यीशु का जन्म नहीं हुआ था क्यूंकि सबूत दिखाते हैं कि वह अक्टूबर में पैदा हुए थे। दिसम्बर में नहीं।  ईसाई होने का दावा करने वाले कुछ लोगों ने बाद में जाकर इस दिन को चुना था क्योंकि इस दिन रोम के गैर ईसाई लोग अजेय सूर्य का जन्मदिन मनाते थे और ईसाई चाहते थे की यीशु का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाए। 

(द न्यू इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका) सर्दियों के मौसम में जब सूरज की गर्मी कम हो जाती है तो गैर ईसाई इस इरादे से पूजा पाठ करते और रीति- रस्म मनाते थे कि  सूरज अपनी लम्बी यात्रा से लौट आए और दोबारा उन्हें गरमी और रोशनी दे। उनका मानना था कि दिसम्बर 25 को सूरज लौटना शुरू करता है। इस त्योहार और इसकी रस्मों को ईसाई धर्म गुरुओं ने अपने धर्म से मिला लिया औऱ इसे ईसाइयों का त्योहार नाम दिया यानि (क्रिसमस-डे)। ताकि गैर ईसाईयों को अपने धर्म की तरफ खींच सके। क्रिसमस से जुड़ी कुछ खास परंपराएं जो आपकी जानकारी में होनी चाहिए साल के आखिर में आने वाला खुशियों का त्यौहार क्रिसमस जिसे हम बड़ा दिन भी कहते हैं। इस दिन को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसमें कुछ चीजें बहुत खास होती हैं। सांता निकोलस: सांता निकोलस को बच्चे-बच्चे जानते हैं। इस दिन खासकर बच्चों को इनका इंतजार रहता है। संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ था। बचपन में माता पिता के देहांत के बाद निकोल को सिर्फ भगवान जीसस पर यकीं था। 

बड़े होने के बाद निकोलस ने अपना जीवन भगवान को अर्पण कर लिया। वह एक पादरी बने फिर बिशप, उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था। वह गरीब बच्चों और लोगों को गिफ्ट दिया करते थे। निकोलस को इसलिए संता कहा जाता है क्योंकी वह अर्धरात्री को गिफ्ट दिया करते थे कि उन्हें कोई देख न पाए। आपको बता दें कि संत निकोलस के वजह से हम आज भी इस दिन संता का इंतजार करते हैं।  क्रिसमस ट्री: जब भगवान ईसा का जन्म हुआ था तब सभी देवता उन्हें देखने और उनके माता पिता को बधाई देने आए थे। उस दिन से आज तक हर क्रिसमस के मौके पर सदाबहार फर के पेड़ को सजाया जाता है और इसे क्रिसमस ट्री कहा जाता है। क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत करने वाला पहला व्यक्ति बोनिफेंस टुयो नामक एक अंग्रेज धर्मप्रचारक था। यह पहली बार जर्मनी में दसवीं शताब्दी के बीच शुरू हुआ था। कार्ड देने की परंपरा: दुनिया का सबसे पहला क्रिसमस कार्ड विलियम एंगले द्वारा 1842 में भेजा गया था। अपने परिजनों को खुश करने के लिए। इस कार्ड पर किसी शाही परिवार के सदस्य की तस्वीर थी। इसके बाद जैसे की सिलसिला सा लग गया एक दूसरे को क्रिसमस के मौके पर कार्ड देने का और इस से लोगो के बीच मेलमिलाप बढ़ने लगता है।

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