धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है. शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है और शंख में वास्तु दोष दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है. जहां नियमित शंख का घोष होता वहां के आस-पास की हवा भी शुद्ध और सकारात्मक हो जाती है.
शास्त्रों में कहा गया है जिन घरों में देवी लक्ष्मी के हाथों में शोभा पाने वाला दक्षिणवर्ती शंख होता है वहां लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं. ऐसे घर में धन संबंधी परेशानी कभी नहीं आती है. दक्षिणवर्ती शंख को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थान में रखना चाहिए और नियमित इसकी पूजा करनी चाहिए.
1 शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है. शंख की आवाज से 'सोई हुई भूमि' जाग्रत होकर शुभ फल देती है.
2 पुराणों के जिक्र मिलता है कि अगर श्वास का रोगी नियमित तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है.
3 शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.
4 दक्षिणवर्ती शंख को धन-संग्रह में रखने से धन, अन्न-संग्रह में रखने से अन्न और वस्त्र-संग्रह में रखने से वस्त्र यानि कि भौतिक सुविधाओं में वृद्धि
होती है.
5 दक्षिणवर्ती शंख में स्वच्छ जल भरकर किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु पर छिड़कने से दुर्भाग्य और बुरे समय से छुटकारा मिलता है.
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