जानिए पशुपतिनाथ की महिमा

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पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव के पशुपति स्वरूप को समर्पित है. यह मंदिर हिन्दू धर्म के आठ सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. नेपाल में यह भगवान शिव का सबसे पवित्र मंदिर है.  

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले बैठे थे. जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी. कहा जाता हैं इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था. इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहाँ प्रकट हुए थे.

पशुपतिनाथ लिंग विग्रह में चार दिशाओं में चार मुख और ऊपरी भाग में पांचवां मुख है. प्रत्येक मुखाकृति के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल है. प्रत्येक मुख अलग-अलग गुण प्रकट करता है. पहला मुख 'अघोर' मुख है, जो दक्षिण की ओर है. पूर्व मुख को 'तत्पुरुष' कहते हैं. उत्तर मुख 'अर्धनारीश्वर' रूप है. पश्चिमी मुख को 'सद्योजात' कहा जाता है. ऊपरी भाग 'ईशान' मुख के नाम से पुकारा जाता है. यह निराकार मुख है. यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख माना जाता है.

मंदिर में अगर कोई घंटा-आधा घंटा ध्यान करता है तो वह जीव कई प्रकार की समस्याओं से मुक्त भी हो जाता है.

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