बिहु शब्द दिमासा लोगों की भाषा से लिया गया है जो की प्राचीन काल से एक कृषि समुदाय है.इस त्यौहार में मौसम की पहली फसल अपनी शांति और समृद्धि की कामना करते हुए ब्राई शिबराई के नाम पर अर्पित किया जाता हैं. रोंगाली बिहु या बोहाग बिहु असम का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार असम में साल में तीन बार मनाया जाता है. बिहु शब्द बिहु नृत्य और बिहू लोक गीत दोनो की और् संकेत करते है.
असमी इस खूबसूरत त्योहार को रंग बिरंगे कपड़े पहन कर मनाते हैं. वे इस अवसर पर अपने पड़ोसियों, शुभचिंतकों और रिश्तेदारों के यहां मिठाइयां और अन्य व्यंजन ले कर जाते हैं और उन्हें बधाई देते हैं.इस खास अवसर पर वे अपने घरों में विशेष पीठा बनाते हैं, जो कि खास इसी दिन बनाया जाता है. इसके अलावा तिल के लड्डू और नारियल के लड्डू भी बनाए जाते हैं.
भैंस आदि को भी पूजते हैं और उन्हें घर का भोजन भी खिलाते हैं. बिहु के त्योहार में लोग अपने प्रियजनों को फूल और गमछा भी भेंट करते हैं. नव युवक एक महीने पहले से ही ढोल,पेपा,गगना (बिहू के वाद्ध यन्त्र) आदि कि तैयारी करते हैं और नव युवतियां उनकी ताल और सुर पर थिरकती हुई बिहू नृत्य करती हैं.
यह बिहू इतने उल्लास और उत्साह वर्धक होता हैं कि गाँव हो या शहर बच्चे हो या बूढ़े सभी आनंद का उपभोग करते हैं.