स्टार कास्ट – रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, पंकज त्रिपाठी, ताहिर राज भसीन, जीवा, साकिब सलीम , जतिन सरना, चिराग पाटिल, दिनकर शर्मा, निशांत दहिया, हार्डी संधू, साहिल खट्टर, एमी विर्क, आदिनाथ कोठारे, धैर्य कारवा, आर बद्री, नीना गुप्ता, बोमन ईरानी, अदिती आर्या , वामिका गब्बी.
निर्देशक – कबीर खान (Kabir Khan)
कहां देख सकते हैं – 24 दिसंबर से सिनेमाघरों में
क्या है फिल्म की कहानी?: 1983 में क्रिकेट जगत की मेजबानी इंग्लैंड द्वारा पूरी की गई थी. इंडियन क्रिकेट टीम की कप्तानी का जिम्मा युवा खिलाड़ी कपिल देव को सौप दिया गया था. उन्होंने एक ऐसी टीम का नेतृत्व किया, जिसे पहले अंडरडॉग (कुछ व्यक्तियों का एक ग्रुप जिसमें क्षमता नहीं होती) के रूप में देखा गया और फिर उसी टीम ने वर्ष 1983 में देश का प्रथम वर्ल्डकप का खिताब अपने नाम कर लिया. कबीर खान की ’83’ वर्ल्डकप जीतने वाली इस टीम की यात्रा को समाहित कर रही है, जिसने देश को विश्वास करना और मजबूती के साथ खड़े रहना सिखाया. मूवी की कहानी ऐसी है, जो 1983 के वर्ल्डकप में भारतीय क्रिकेट टीम को जीत का इतिहास रचते हुए दिखाई गई है. वर्ल्डकप के ग्रैंड फाइनल के परिणाम किताबों में लिख दिए गए है, लेकिन वर्ल्डकप की यात्रा के बीच की कई कहानी और भागों को कबीर खान ने अपनी इस फिल्म के जरिए दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास किया है.
रिव्यू: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिने प्रेमियों के साथ-साथ ये मूवी क्रिकेट प्रेमियों के द्वारा भी पसंद की जाने वाली है. मूवी के पहले कुछ मिनट में मूवी के किरदारों से परिचित करवाया जाता है, वो भी पासपोर्ट सीक्वेंस का उपयोग करके. इस बीच डायलॉग्स और बातचीत भी सुनाई पड़ती है, जिसमें ये बोला जा रहा होता है कि भारतीयों को भरोसा नहीं है कि भारत वर्ल्ड कप जीतने वाला है. इस क्षण आपके दिमाग में एक चीज क्लिक करने वाली है कि ये फिल्म सिर्फ 1983 में जीते गए वर्ल्डकप की यादों को ही ताजा नहीं करती है, बल्कि ये फिल्म सम्मान पाने को लेकर भी है.
मूवी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, आप उससे खुद को कनेक्ट करने का प्रयास करने लग जाएंगे. अगर आप 83 के उपरांत पैदा हुए हैं तो एक बार को शायद ये एहसास भी होगा कि जब वर्ल्डकप जीता गया तो उस समय आप उस लम्हे के गवाह बनने के लिए मौजूद क्यों नहीं थे. मुझे तो यही महसूस किया गया है. मूवी के हरेक सीन में इमोशन हैं. एक बात है, जो दिल को छूती है. मूवी में कई स्थान पर रियल विजुअल भी डाले गए हैं. जैसे कपिल देव की वो पारी जब उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया था. जिसके अतिरिक्त एक वो सीन जब संदीप पाटिल और कपिल देव बैटिंग कर रहे होते हैं, तो दर्शक मैदान पर दौड़े चले आते हैं. एक सीन और रियल दिखाया गया, जब दिलीप चोटिल होते हैं और उनका खूब खून बहता है.
इस तरह के कई रियल सीन हैं, जिन्हें बीच-बीच में कबीर सिंह ने अपनी इस मूवी में दिखाया है. कबीर खान ने इमोशन के माध्यम हर खिलाड़ी में रंग भरे हैं, जो उन्हें एक अलग टीम बना रही है. हम ये शायद ही सोच सकते हैं कि कृष्णमाचारी श्रीकांत (जीवा) जोक क्रेक भी कर पाएंगे. इसकी तो हमें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी. उन्होंने अपने एक्सेंट से जो फिल्म में ह्यूमर डाला है, वो कमाल का है. यशपाल शर्मा उर्फ जतिन सरना, एमी विर्क उर्फ बलिवंदर संधू और मदन लाल के रूप में हार्डी संधू, इन सभी ने फिल्म में एक अलग ही जान डाल दी है. सीरियस टाइम पर भी इन लोगों का बात करने का स्टाइल 83 को बहुत आकर्षक और देखने योग्य बनाता है.
जिसके अतिरिक्त कपिल देव और मोहिंदर अमरनाथ (साकिब सलीम) के मध्य एक सीन है, जिसमें दोनों के मध्य कोई बातचीत नहीं है, लेकिन जिस तरह से दोनों एक दूसरे को लुक्स दे रहे है, उसमें फिर कहीं भी बोलकर कुछ कहने की आवश्यकता नहीं पड़ने वाली है. दोनों लुक्स देकर ही एक दूसरे की बातें समझ लेते हैं. यही मूवी की शार्प और टाइट स्क्रीनप्ले की ताकत भी है. मूवी में आपको रियल कपिल देव और मोहिंदर अमरनाथ की झलक भी देखने को मिलेगी. मोहिंदर अमरनाथ ने फिल्म में अपने पिता लाला अमरनाथ की भूमिका निभा चुके है.
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