आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है आज के दिन माँ के नौ रूपों में से उनके दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी का मतलब है आचरण करने वाली. इन दोनों को मिलाकर बनता है ब्रह्मचारिणी. शास्त्रों के अनुसार मां ब्रम्ह्चारिणी ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए बहुत कठिन तप किया था.इसी कारण माँ को ब्रह्मचारिणी नाम से बुलाया जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर माँ की तस्वीर को रखे,अब फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि से इनकी पूजा करे अब उन्हें दूध, दही, घृत, मधु व चीनी के पानी से स्नान कराएं.अब इन्हे प्रसाद चढ़ाएं. प्रसाद चढाने के बाद आचमन कराएं और फिर पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें.माँ ब्रम्ह्चारिणी की पूजा करते वक़्त अपने हाथो में फूल लेकर इस मंत्र से मां का ध्यान करे.
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा
मंत्र पढ़ने के बाद अक्षत, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करें. जो भी भक्त सच्चे मन से मां की पूजा और आराधना करता है उसके जीवन में हमेशा सुख और शांति बनी रहती है. उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता.
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