जानिए क्या शिव के नटराज रूप का रहस्य

जानिए क्या शिव के नटराज रूप का रहस्य
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त्रिदेवों में सबसे लोकप्रिय भगवान शिव ही माने जाते हैं. असल में भगवान शिव बहुत ही सरलता से माने जाने वाले देव माने जाते हैं. कहते हैं कि शिव तो सिर्फ एक लौटा जल और बिल्व पत्रों में ही आराधना को स्वीकार कर लेते हैं. लेकिन शिव का ही एक रूप नटराज का भी है जो प्रकृति या कहें समस्त चराचर जगत के सृजन व विनाश के कर्ता-धर्ता हैं. 

आइये जानते हैं भगवान शिव के इसी नटराज स्वरूप के रहस्यों के बारे में.

जब भगवान शिव शंकर ने त्रिपुर नामक असुर का वध किया तो उसके बाद वे खुशी से झूमने लगे. नृत्य की शुरुआत में उन्होंने अपनी भुजाएं नहीं खोली क्योंकि वे जानते थे कि उससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ जायेगा और सृष्टि का विनाश होने लगेगा. लेकिन भगवान शिव कुछ समय पश्चात नृत्य में इतने मगन हो जाते हैं कि उन्हें किसी तरह कि सुध नहीं रहती और खुल कर नृत्य करने लगते हैं जिसके साथ-साथ सृष्टि भी डगमगाने लगती है. तब उस समय संसार की रक्षा के लिये देवी पार्वती भी प्रेम और आनंद में भरकर लास्य नृत्य आरंभ करती हैं जिससे सृष्टि में संतुलन होने लगता है व भगवान शिव भी शांत होने लगते हैं. भगवान शिव को सृष्टि के प्रथम नर्तक के रूप में भी जाना जाता है.

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