आखिर क्या हुआ था 9 नवंबर को करतारपुर में जानिए

आखिर क्या हुआ था 9 नवंबर को करतारपुर में जानिए
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करतारपुर साहिब सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह वह स्थान है जहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां गुरु जी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए आते हैं। पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब और ननकाना साहिब सिख धर्म के दो प्रमुख स्थल हैं। ननकाना साहिब लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है और करतारपुर साहिब लाहौर से 117 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत से पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालु सबसे पहले करतारपुर साहिब के दर्शन करते हैं और फिर ननकाना साहिब जाते हैं।

करतारपुर साहिब और इसकी दूरी

करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है और यह भारतीय सीमा से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर है। पहले करतारपुर साहिब जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी और वीजा की आवश्यकता भी होती थी, जिससे लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब करतारपुर कॉरिडोर बनने के बाद भारत से श्रद्धालु बिना वीजा के इस पवित्र स्थल पर जा सकते हैं।

करतारपुर कॉरिडोर के लिए समझौता

करतारपुर कॉरिडोर का समझौता भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच हुआ है। यह समझौता पहली बार 24 अक्टूबर 2019 को हुआ था और इसे अब पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इस कॉरिडोर की मदद से श्रद्धालु बिना किसी रुकावट के यहां आ सकते हैं और अपनी धार्मिक यात्रा पूरी कर सकते हैं।

जरूरी जानकारी

हालांकि, करतारपुर कॉरिडोर वीजा-फ्री है, लेकिन तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान की तरफ से 20 अमेरिकी डॉलर का सेवा शुल्क देना पड़ता है। इसे हटाने के लिए कई बार अपील की गई, लेकिन यह शुल्क अब तक लागू है। इसके अलावा, यात्रियों को पासपोर्ट अपने साथ ले जाना जरूरी होता है, हालांकि इसे केवल पहचान के लिए दिखाना पड़ता है।

यात्रा से पहले रजिस्ट्रेशन

अगर आप करतारपुर साहिब जाने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करवा लें। इसके लिए वेबसाइट पर जाकर फार्म भरें और आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड करें। इसके बाद SMS या ईमेल के माध्यम से आपको इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथोराइजेशन दिया जाता है, जो यात्रा के लिए आवश्यक होता है।

श्रद्धालुओं की संख्या

9 नवंबर 2019 को भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने मिलकर इस कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। कोरोना के दौरान इसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, लेकिन 17 नवंबर 2021 को इसे फिर से शुरू किया गया। पिछले 3 साल और 4 महीनों में लगभग 3,44,000 श्रद्धालु इस कॉरिडोर के जरिए करतारपुर साहिब के दर्शन कर चुके हैं। वर्तमान में यहां प्रतिदिन लगभग 400 श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। भारत सरकार ने पाकिस्तान से आग्रह किया है कि प्रतिदिन 5000 श्रद्धालुओं को इस यात्रा की अनुमति दी जाए और विशेष दिनों पर यह संख्या 10,000 तक बढ़ाई जाए।

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