जानिए क्या है राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस ' का इतिहास

जानिए क्या है राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस ' का इतिहास
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कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जो गर्भवती महिलाओं और बच्चों खासकर नवजात शिशुओं के लिए घातक होती है.इन बीमारियों से बचाव के टीके लगाए जाते हैं.यह टीके रक्षा कवच का काम करते हैं. लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि घातक बीमारियों से होने वाले नुकसान के बावज़ूद लोग सावधानी नहीं बरतते हैं. टीकों के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही हमारे देश में प्रति वर्ष 16 मार्च को 'राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस ' मनाया जाता है.

हमारे देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस की शुरुआत 16 मार्च 1995 को पल्स पोलियो अभियान से हुई थी.तब से यह हर वर्ष टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.टीकाकरण दरअसल डॉक्टरों द्वारा लगाया जाने वाला इंजेक्शन है ,जिसे वेक्सीनेशन भी कहा जाता है, जो सरकारी अस्पतालों में मुफ्त लगाया जाता है.टीकाकरण के द्वारा बच्चों को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित किया जाता है.विशेषकर नवजात शिशुओं को कई तरह के टीके लगाए जाते हैं,ताकि उन्हें कोई घातक बीमारी न हो.टीकाकरण से बच्चों को संक्रामक बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है.

आज टीकाकरण दिवस पर सरकार द्वारा कई स्वास्थ्य योजनाएं चलाई जाती है.सरकारी अस्पतालों,स्कूलों और अन्य सामुदायिक केंद्रों पर इस दिन विशेष इंतजाम किए जाते हैं.सरकारी स्कूलों में 5 साल से कम उम्र के बच्चों को पल्स पोलियो की दवाई पिलाई जाती है.गांवों में भी डॉक्टरों की टीमें टीका लगाने के लिए भेजी जाती है.पल्स पोलियो की दवाई दो बून्द ज़िन्दगी बना देती है.

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रति वर्ष 10 नवंबर को विश्व प्रतिरक्षण दिवस मनाया जाता है ,जिसमें इस संगठन से जुड़ी संस्थाएं टीकाकरण से जुड़े अभियानों के माध्यम से टीकाकरण के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास करती है.टीकाकरण की सुविधाओं से वंचित देशों को यह संस्थाएं सुविधाएं मुहैया कराती है.सघन टीकाकरण अभियान के कारण ही भारत पोलियो मुक्त हो सका है. उम्मीद करते हैं कि टीकाकरण के अलावा सरकार द्वारा संचालित अन्य स्वास्थ्य योजनाओं से देश अन्य बीमारियों से भी मुक्त हो जाएगा .

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