साधारणतया हनुमान प्रतिमा को चोला चढ़ाते हैं. हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार को तथा शनि महाराज की साढ़े साती, अढैया, दशा, अंतरदशा में कष्ट कम करने के लिए शनिवार को चोला चढ़ाया जाता है..साधारणतया मान्यता इन्हीं दिनों की है, लेकिन दूसरे दिनों में रवि, सोम, बुध, गुरु, शुक्र को चढ़ाने का निषेध नहीं है. चोले में चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर प्रतिमा पर लेपन कर अच्छी तरह मलकर, रगड़कर चांदी या सोने का वर्क चढ़ाते हैं.
इस प्रक्रिया में कुछ बातें समझने की हैं. पहली बात चोला चढ़ाने में ध्यान रखने की है. शुद्ध वस्त्र धारण करें.सृष्टि क्रम यानी पैरों से मस्तक तक चढ़ाने में देवता सौम्य रहते हैं. संहार क्रम से चढ़ाने में देवता उग्र हो जाते हैं. यह चीज श्रीयंत्र साधना में सरलता से समझी जा सकती है. यदि कोई विशेष कामना पूर्ति हो तो पहले संहार क्रम से, जब तक कि कामना पूर्ण न हो जाए, पश्चात सृष्टि क्रम से चोला चढ़ाया जा सकता है. ध्यान रहे, पूर्ण कार्य संकल्पित हो. सात्विक जीवन, मानसिक एवं शारीरिक ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है.
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