सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है, और इस दौरान विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। रुद्राक्ष धारण करने का भी इस समय विशेष महत्व होता है, क्योंकि सावन के महीने में रुद्राक्ष पहनना सबसे शुभ माना जाता है।
रुद्राक्ष का महत्व
रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न माना जाता है और इसे धारण करने से कई आध्यात्मिक और औषधीय लाभ होते हैं। यह न केवल संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि विभिन्न बीमारियों से भी बचाव करता है। रुद्राक्ष की विभिन्न किस्में होती हैं, जिनमें से प्रमुख चौदह मुखी, गौरी-शंकर, और गणेश रुद्राक्ष हैं।
रुद्राक्ष पहनने के उपाय
धारण करने का समय: रुद्राक्ष को लाल या पीले धागे में पहनना चाहिए। इसे पूर्णिमा, अमावस्या या सोमवार को पहनना श्रेष्ठ माना जाता है। सावन के महीने में इसे किसी भी दिन पहना जा सकता है क्योंकि इस समय हर दिन शुभ माना जाता है।
संख्या और सामग्री: रुद्राक्ष 1, 27, 54, या 108 की संख्या में धारण करें। रुद्राक्ष को धातु के साथ पहनना भी लाभकारी होता है। अन्य व्यक्ति द्वारा पहना हुआ रुद्राक्ष न पहनें और सोते समय रुद्राक्ष उतार दें।
सावधानियां: रुद्राक्ष पहनने के बाद सात्विकता का पालन करना चाहिए और इसे नियमित रूप से साफ रखना चाहिए।
विभिन्न मुखों वाले रुद्राक्ष और उनके लाभ
एक मुखी रुद्राक्ष: यह शिव का स्वरूप होता है और सिंह राशि वालों के लिए विशेष शुभ माना जाता है। यह सूर्य संबंधित समस्याओं के समाधान में सहायक है।
दो मुखी रुद्राक्ष: अर्धनारीश्वर का स्वरूप होता है और कर्क राशि के जातकों के लिए शुभ है। वैवाहिक जीवन की समस्याओं में लाभकारी है।
तीन मुखी रुद्राक्ष: अग्नि और तेज का स्वरूप होता है। मेष और वृश्चिक राशि के लोगों के लिए उपयोगी है, खासकर मंगल दोष के निवारण में।
चार मुखी रुद्राक्ष: ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए उपयुक्त है और त्वचा रोगों में लाभकारी है।
पांच मुखी रुद्राक्ष: इसे कालाग्नि भी कहते हैं। यह शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में मदद करता है और धनु या मीन राशि वालों के लिए विशेष लाभकारी है।
छह मुखी रुद्राक्ष: भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है। यह तुला या वृष राशि के लोगों के लिए लाभकारी है और कुंडली में शुक्र की कमजोरी को दूर करता है।
सात मुखी रुद्राक्ष: यह सप्तमातृका और सप्तऋषियों का स्वरूप है। गंभीर परिस्थितियों और मकर तथा कुंभ राशि के जातकों के लिए उपयुक्त है।
आठ मुखी रुद्राक्ष: अष्टदेवियों का स्वरूप है। यह आकस्मिक धन प्राप्ति में सहायक है और राहु से संबंधित समस्याओं के लिए लाभकारी है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष: यह स्वयं शिव का स्वरूप माना जाता है। संतान संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए उपयोगी है।
विशेष लाभ के लिए रुद्राक्ष
शीघ्र विवाह: दो मुखी रुद्राक्ष या गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनें।
शिक्षा और एकाग्रता: पांच मुखी रुद्राक्ष पहनें।
स्वास्थ्य और आयु: एक मुखी या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।
नौकरी में बाधाएं: तीन मुखी रुद्राक्ष पहनें।
व्यसन छुड़ाने के लिए: पांच मुखी रुद्राक्ष पहनें।
भक्ति के लिए: ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।
रुद्राक्ष को घिसकर तिलक लगाने से तेज और सौंदर्य में वृद्धि होती है। तलवों में और मस्तक पर रुद्राक्ष का लेप भी किया जा सकता है।
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