लियोनार्डो दा विंची का जन्म इटली में हुआ था, उनका दिमाग आम इंसानों से बिलकुल ही अलग था, उन्होंने हमे बहुत कुछ दिया है। आज हम आपको बताने जा रहे है लियोनार्डो दा विंची के बारें में कुछ खास बातें बताने जा रहे है, जिनके बारें में शायद ही आप लोगों को पता हो तो चलिए जानते है...
लियोनार्डो दा विंची एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने आकाश का रंग नीला होने की सही वजह के बारें में बताया था। ऐसा इसलिए होता है, क्यूंकि हवा सूरज से आने वाली रौशनी को बिखरती है। और नील रंग में बाकी रंगों की तुलना में फैलने की क्षमता अधिक होती है। जिसकी वजह से हमे दिन में आकाश नीला दिखाई देता है। लियोनार्डो दा विंची एक ही समय में एक हाथ से लिख सकते थे और दूसरे हाथ से ड्राइंग कर सकते थे। कांटेक्ट लैंसेस का सुझाव सबसे पहले लियोनार्डो दा विंची ने सन 1508 में दिया था। कैची का अविष्कार करने वाले लियोनार्डो दा विंची ही थे। वह बाजार से पिंजरे ब्वाले जानवरों को खरीदते थे ताकि उन्हें आज़ाद किया जा सके। लियोनार्डो दा विंची बहुत ही कटर शाकाहारी थे। क्यूंकि उन्हें जानवरों से बहुत ही प्यार और लगाव था। लियोनार्डो दा विंची एक धनी वकील की नाजायज़ संतान थे। बिल गेट्स ने 1994 में लियोनार्डो दा विंची की किताब THE CODEX LEJCESTER को 30 मिलियन US डॉलर में खरीदा था। जिसके कुछ पन्नों को विंडोज 95 में स्क्रीन सेवर के रूप में भी प्रयोग में किया गया था।
लियोनार्डो दा विंची की पढ़ाई घर पर ही हुई थी। क्यूंकि गीक और लेटिन में फॉर्मल एजुकेशन की कमी थी। लियोनार्डो दा विंची बहुत ही आसानी से किसी भी शब्द को उलटे क्रम में लिख लेते थे। जैसा की हमे शीशे में लिखा हुआ दिखाई देता है। वह ऐसा तब लिखते थे जब कोई सीक्रेट बात को लिखना हो। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक के अनुसार, लियोनार्डो दा विंची के द्वारा बनाई गई मोनालिसा की पेंटिंग को इतिहास में सबसे ज्यादा इंसोरेंस वेल्यू वाली पेंटिंग है। 1911 में पेरिस के लोबरे म्यूजियम से चोरी होने के बाद ये सबसे फेमस तस्वीर बन गई। 2015 में इसकी कीमत 780 मिलियन US डॉलर थी। एक फेस रिकॉम्युनिकशन के अनुसार लियोनार्डो दा विंची की पेंटिंग की मोनालिसा 83% खुश 9% डिस्गस्टिड 6 प्रतिशत डरी हुई और 2 प्रतिशत गुस्से में है। लियोनार्डो दा विंची ने मोनालिसा की दाई आँख की पुतली पर अपने हस्ताक्षर भी किए थे। जिस पर यकीन करना मुश्किल है लेकिन लियोनार्डो दा विंची ने कुछ चीजों का आविष्कार 1400 ईस्वी, के अंत में या 1500 ईस्वी की शुरुआत में किया था।
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