सपने वास्तव में निद्रावस्था में मस्तिष्क में होने वाली क्रियाओं का परिणाम भी कहा जाता है। कुछ लोगों का इस बारें में कहना है कि उन्हें सपने नहीं दिखाई देते, लेकिन कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि उन्हें बहुत सपने दिखाई देते हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार निद्रावस्था में हर व्यक्ति को रोजाना दो-तीन बार सपने आ ही जाते है। सपने की घटनाएँ कुछ लोगों को याद रहती है, तो कुछ लोग सपने की घटनाओं को भूल जाते हैं। सपनों के विषय में लोगों के कई मत हैं।
एक मत के अनुसार सोते वक़्त व्यक्ति की जो मानसिक स्थिति होती हैं, उसी से संबंधित स्वप्न उसे दिखाई देने लग जाते है। उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति सोते वक़्त भूखा है या प्यासा है, तो उसे भोजन और पानी के विषय में सपने दिखाई दे सकते है। बता दें कि एक दूसरे विचार के अनुसार जो इच्छाएँ हमारे जीवन में पूरी नहीं हो पाती हैं, वे सपनों में पूरी होने लग जाती है। हमारे मन की दबी भावनाएँ अक्सर सपनों में पूरी हो जाती हैं। सपनों के द्वारा मानसिक तनाव भी कम होने लग जाता है।
जब हमें सपने दिखाई देते हैं, तब हमारी आँखों की गति तेज होने लग जाती है। मस्तिष्क से पैदा होने वाली तरंगों की बनावट में अंतर आ जाता है। शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन होते है। खबरों का कहना है कि इन सब परिवर्तनों के अध्ययन से निश्चित है कि सपने दिखाई देने का अपना महत्व है।
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