प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को विश्वभर में विश्व मृदा दिवस सेलिब्रेट किया जाता है. दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प के द्वारा 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस सेलिब्रेट करने का संकल्प लिया गया था. इस दिवस को मनाने का उदेश्य किसानों के साथ आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में लोगों को जागरूक करना था.
वर्ष 2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष विश्व मृदा दिवस सेलिब्रेट करने की सिफारिश की थी. FAO के सम्मेलन ने सर्वसम्मति से जून 2013 में विश्व मृदा दिवस मानाने के लिए समर्थन किया गया था और 68 वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसको आधिकारिक रूप से सेलिब्रेट किए जाने का अनुरोध किया. सबसे पहले यह खास दिन संपूर्ण विश्व में 5 दिसंबर 2014 को सेलिब्रेट किया गया. इस दिवस को खाद्य व कृषि संगठन द्वारा सेलिब्रेट किया जाता है. दुनिया भर के कई भागों हिस्सों में उपजाऊ मिट्टी बंजर होती चली जा रही है. जिसकी वजह से किसानों द्वारा अधिक रसायनिक खादों और कीटनाशक दवाईयों का उपयोग करना है. ऐसा करने से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने के कारण से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट भी देखने को मिल रही है और यह प्रदूषण का शिकार हो रही है. किसानो और आम लोगों को मिट्टी की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिन विशेष तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है.
मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHC) की शुरूआत कर दी थी. इसमें भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा देशभर में 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) जारी करने का लक्ष्य बनाया गया था.
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