प्रकृति की गोद में ना जाने कितने ही ऐसे रहस्य छिपे हुए है जिनके बारे में आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है. कई बार तो ऐसे-ऐसे रहस्य सामने आते हैं जिनके आगे विज्ञान भी फेल हो जाता है. हम आपको आज एक ऐसी ही जगह के बारे में बता रहे हैं जिसके आगे तो वैज्ञानिक भी फेल हो गए हैं.
हम आपको दक्षिण भारत के एक ऐसे पत्थर के बारे में बता रहे हैं जो सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. ये पत्थर महाबलिपुरम में मौजूद हैं चर्चा का विषय बना हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि ये पत्थर करीब 1200 साल पुराना है. इसकी ऊंचाई 20 फीट और चौड़ाई 5 फीट है. हैरानी वाली बात तो ये है कि ये पत्थर जिस तरह से अपनी जगह पर टिका है, वो इसे अनोखा बनाता है. आज तक वैज्ञानिक भी इस पत्थर के रहस्य को नहीं समझ पाए हैं. किसी को ये नहीं पता है कि ये पत्थर किसी इंसान द्वारा खड़ा किया गया है या प्रकृति द्वारा.
साल 1908 में पहली बार ये पत्थर खबरों में सामने आया था. दरअसल जब वहां के गवर्नर आर्थर लवली ने इस पत्थर को अजीब तरह से खड़े हुए देखा तो उन्हें ऐसा लगा कि ये किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता है और इस कारण से उन्होंने करीब 7 हाथियों से इस पत्थर को खिंचवाया. लेकिन वो 7 हाथी भी मिल कर इस पत्थर को हटा नहीं पाए. यहाँ तक कि पत्थर अपनी जगह से जरा भी हिला तक नहीं. इस पत्थर के पीछे एक ऐसी कथा जुड़ी है कि ये पत्थर जमा हुआ मक्खन है, जो कृष्ण ने अपनी बाल अवस्था में यहां गिरा दिया था. बस तभी से लोग इस पत्थर को ‘कृष्ण की मक्खन की गेंद’ के नाम से भी जानते हैं.
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