हेग: भारत ने बुधवार को पाकिस्तान की सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल खड़े करते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) से आग्रह किया कि वह कुलभूषण जाधव का मृत्युदंड ख़ारिज करे क्योंकि वह ‘जबरन स्वीकरोक्ति’ पर आधारित है। 48 वर्षीय कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। दरअसल, उन्हें बंद कमरे में सुनवाई के बाद अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने ‘जासूसी और आतंकवाद फ़ैलाने’ के आरोप में सजा ए मौत सुनाई थी।
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सुनवाई के तीसरे दिन भारत की तरफ से अंतिम दलील पेश करते हुए विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने कहा है कि,‘सैन्य अदालत के फैसले को ख़ारिज किया जाए और पाकिस्तान को मृत्युदंड का अनुपालन करने से रोका जाए। जाधव को रिहा किया जाए और उनकी सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की जाए। यदि ऐसा नहीं है तो पूर्ण राजनयिक पहुंच के साथ सामान्य कानून के तहत फिर सुनवाई का आदेश दिया जाए।’
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उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि वह घोषित करे कि पाकिस्तान ने विएना सम्मेलन के अनुच्छेद 36 का अतिक्रमण किया है और जाधव को उसके अधिकारों की जानकारी देने में नाकाम रहा है। इस बात पर बल देते हुए कि पाकिस्तान ने बार-बार जाधव तक राजनयिक पहुंच देने से मन किया है। मामले में भारत की तरफ से पेश हो रहे हरीश साल्वे ने यह भी कहा कि समय आ गया है जब आईसीजे मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 36 का अहम् हथियार के रूप में उपयोग करें। पाकिस्तान इस संबंध में अपनी अंतिम दलीलें गुरुवार को पेश करेगा। आईसीजे इस मामले पर अपना फैसला 2019 के ग्रीष्मकाल में सुना सकता है।
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